वैश्विक स्तर पर बहुत तेजी से हो रहे प्रौद्योगिकी विकास की वजह से अगले पांच वर्षों में पांच करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां खत्म कर सकता है।
यह बात एसोचैम की 'डिजिटल इंडिया टू रोबोटिक इंडिया' रिपोर्ट में सामने आई है। बुधवार को एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डीएस रावत ने होटल ताज में रिपोर्ट को जारी किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को स्वचालन को लेकर एक राष्ट्रीय नीति का स्वरूप तैयार करना चाहिए।
इसमें भी शीर्ष स्तर के विशेषज्ञों, व्यवसाय जगत, सरकार तथा श्रमिक वर्ग के प्रतिनिधियों की राय को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों की सटीक क्षमताओं से लैस करने के लिए सरकार, उद्योग तथा प्रबुद्ध वर्ग के बीच एक साझीदारी विकसित करने की आवश्यकता है। प्रस्तावित साझीदारी के जरिए हमें विशिष्ट क्षमताओं तथा समयानुकूल शिक्षा की उभरती हुई आवश्यकता को पहचानने में मदद मिलेगी। खासकर विकसित देशों से पाठ्यक्रमों की संरचना तैयार करने और उन्हें संचालित करने में सहायता की जरुरत होगी।
नोटबंदी से आम आदमी की समस्याएं बढ़ी-
एसोचैम के क्षेत्रीय निदेशक सीपी सिंह ने कहा कि नोटबंदी से समस्याएं बढ़ी है। आम आदमी को घंटों बैंक व एटीएम के सामने कैश के लिये लगानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि घर में रखा पैसा कालाधन नहीं है। सरकार को यदि भ्रष्टाचार और कालाधन को समाप्त करना है तो चुनाव में इस्तेमाल होने वाले धन पर लगाम लगानी होगी।