मौत के मुंह में  फंसा पड़ा है मासूम बालक,दवा मिले तो जिंदगी मिले

Samachar Jagat | Monday, 24 Apr 2023 10:57:04 AM
Innocent child is trapped in the mouth of death, if medicine is found then life can be found

जयपुर। देखा जाय तो कैंसर नाम ही इस कदर खतरनाक है की जिसके पीछे पड़ जाय, तो समझो गया काम से। दिन में तारे नज़र आने लगते है। हालत बेहद खराब हो जाती है, पैसा का पैसा बर्बाद हो जाता है ,जान बच पाना बहुत मुश्किल हो जाती है। यह दुखड़ा एक सात साल के एक  होनहार बालक  का है, जो न्यूरोब्लास्टोमा नामक रोग जिसे कैंसर के बाप के नाम से जाना जाता है।  अभागे बालक दक्ष है। जो दवा के इंतजार में जिंदगी की आखिरी सांस गिन रहा है। मदद के लिए देश की सेवा भावी संस्था और व्यक्तियों का दरवाजा खटखटा रहा है।
दक्ष नामक इस बच्चे के पिता बताते है कि बीमार होने से पहले मेरा बच्चा हुस्तपुष्ट था। जिंदगी में बहुत कुछ बनने का ख्वाब देखा करता था। मगर एक साल पहले उसे पेट में तेज दर्द की शिकायत हुई थी। हमने सोचा की पेट का दर्द सामान्य सी बात है। इसका पहले घरेलू उपचार किया गया। मगर रत्ती भर भी फायदा नहीं हुआ। हमारे घर के निकट ही एक सीनियर फिजिशियन की क्लिनिक है,उनकी।राय ली तो वे बोले,पेंट दर्द आम तौर पर हो जाया करता है। कभी भारी भोजन किया तो पेट नाराज हो जाया।करता है। मगर लापरवाही ठीक नही होती। सामान्य से दिखने वाले लक्षण बड़ी बीमारी का संकेत हो सकते है। डॉक्टर साहब की सलाह पर कई सारे टेस्ट कराए। इस पर पता चला की दक्ष को तो एक दुर्लभ तरह का कैंसर है।

खटखटा रही हूं। शायद कोई रहम करदे,दुखी मां की पीड़ा इस कदर मार्मिक है की दिल पसीज सकता है। वह बताती है की मेरा बच्चा हस्टपुष्ट था। जिंदगी में बहुत कुछ बनने का ख्वाब देखा करता था। मगर एक साल पहले, उसे पेट में तेज दर्द हुवा था । हमने इसे सीरियस नहीं लिया। यह सोचा कि पेट दर्द सामान्य सी बात है।  खाने पीने कुछ ऊपर नीचे  हो गया होगा।इसका पहले घरेलू उपचार किया गया। मगर रत्ती भर भी फायदा नहीं हुआ। हमारे घर के निकट ही एक सीनियर फिजिशियन की क्लिनिक है, उनकी राय ली तो वे बोले,खाने पीने में तो गड़बड़ नहीं हो गई.......? मगर लापरवाही ठीक नही होती। सामान्य से दिखने वाले लक्षण बड़ी बीमारी का संकेत हो सकते है। डॉक्टर साहब की सलाह पर कई सारे टेस्ट करवाए। तब पता चला, उसे तो कोई बेहद खतरनाक बीमारी है। जिसका इलाज तो तुरंत करवाना होगा। कहते है,यह रोग तो कैंसर से भी खतरनाक है। दिल्ली के कई अस्पतालों में इसका उपचार किया जा रहा है, आप के बच्चें  दक्ष को वहां ले जाय, यही इसके लिए ठीक रहेगा।
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में एक फिजिशियन की सलाह पर कीमो थेरेपी का कोर्स दिया गया। मेरा बच्चा परेशान हो गया। सिर के सारे बाल उड़ गए। मुंह में छाले हो गए। मुंह से कुछ खाना निगलना मुश्किल हो गया। मेरे सामने समस्या हो गई। क्या दू इसे खाने को। इतनी पावरफुल दवा,भूखे पेट ! नारे बाबा। यह जुल्म मुझसे नहीं होगा। इतना सब किया फिर भी दक्ष को कोई आराम नही मिला।
डॉक्टर साहब से फिर से संपर्क किया। फीस दी। इस पर कोर्स में कुछ चेंज किया। मगर इस पर भी नो रिलीफ....!
डॉक्टर सर कहते थे कि आपके बच्चे को एक दुर्लभ कैंसर हुवा है। जिसके इलाज की एक ही दवा.....दिनुतुक्सिमाब,है। बहुत महंगी है। ९१ लाख रूपये का इंतजाम करना होगा। कहां से आएगा इतना पैसा। मैं तो सूटूट रह गई। चेहरा उतर गया। कुछ देर चुप रही। फिर बोली.....इतना पैसा!  कहां से आएगा। खैर जो भी हो। मैं घर लोट आई। कई संस्थाओं से संपर्क किया। कुछ पैसा घर गिरवी रख कर जुटाया। पैसा और भी चाहिए था। इसी में लगी हूं। कही फरियाद लग जाय। मेरा बच्चा मन जाएगा। कोई तो मेरा दर्द सुनेगा।



 


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