अमृतसर (पंजाब) : शिरोमणि गुरुद्बारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के सालाना सामान्य सदन के सत्र में हरियाणा सिख गुरुद्बारा प्रबंधक समिति को खारिज करने का प्रस्ताव पारित करते हुए इसे ''सिख विरोधी ताकतों द्बारा सिख शक्ति को कमजोर करने की चाल’’ बताया। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि हरियाणा के लिए अलग सिख गुरुद्बारा संस्था ''असंवैधानिक’’ है तथा इसे कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इसमें बुधवार को कहा गया कि भारत सरकार को सिख भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और हरियाणा सिख गुरुद्बारा (प्रबंधन) कानून, 2014 को निरस्त करने के लिए संसद में एक प्रस्ताव लाना चाहिए। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने सितंबर में हरियाणा सिख गुरुद्बारा (प्रबंधन) कानून, 2014 की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी थी। इस कानून के तहत राज्य में गुरुद्बारों के मामलों के प्रबंधन के लिए एक अलग समिति बनायी गयी।
सत्र में पारित एक अन्य प्रस्ताव में कहा गया है कि एसजीपीसी 'बंदी सिखों’’ की रिहाई के लिए प्रतिबद्ध है तथा इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए एक दिसंबर 2022 से 'संगत’ से फॉर्म भरवाने का अभियान शुरू किया जाएगा। इन फॉर्म को पंजाब के राज्यपाल को सौंपा जाएगा। एक अन्य प्रस्ताव में एसजीपीसी ने देशभर में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की केंद्र की योजना का विरोध किया। प्रस्ताव में कहा गया है, ''यह योजना देश को 'हिदू राष्ट्र’ बनाने की ओर एक अन्य कदम है।’’