जयपुर। जयपुर के गोखले हॉस्टल के एक उन्नीस वर्ष के युवक की 26 अगस्त को एक हादसे में दर्दनाक मौत हो गई थी। डेथ के बाद कई सारे सवाल और शक से यह मामला बारूद के ढेर पर जा पहुंचा है। घटना क्या थी, कैसे क्या हुआ, इस बारे में अब तक की तहकीकात के अनुसार ...हादसे का शिकार कुलदीप घटना के दिन सायं 6 बजे ना जाने किन खयालों में खोया हुआ, अर्जुन रेलवे फाटक के निकट रेल की पटरियों के पास चल रहा था। तभी रेल का कोई इंजन सेटिंग करता हुआ, वहां पहुंचा। इंजन की स्पीड कम होने पर चालक ने तुरंत ही तेज बे्रक लगाए। मगर इस छात्र का कंधा इंजन के अगले हिस्से से टकरा गया।
चौट जानलेवा नहीं थी। यहां रेल के चालक ने बड़ी समझदारी दिखाई। पहले उसने एम्बूलैंस मंगवाने का प्रयास किया, मगर इसमें सफलता नहीं मिलने पर घायल छात्र को गोद में उठा कर अपने इंजन के भीतर अपनी केबिन में लिटा दिया। कुछ ही देर में उसे दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन पर पहुंचा दिया। युवक के तुरत उपचार के लिए किसी ऑटो रिक्सा की मदद सें उसे जयपुरिया अस्पताल पहुंचा दिया। वहां उसके घावों पर कोरी पटिटयां बांध का उसे सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रोमा इकाई के लिए रेफर कर दिया।
यहां पहुंचने से पहले तक कुलदीप होश में था, मैडिकल स्टाफ से बातचीत कर रहा था।
तभी उसने अपने घर पर भी अपने मोबाईल से संपर्क करके तमाम वाकिए की जानकारी देकर कहा कि वह अब ठीक है। चिंता ना करना। इसी बीच इस वाकिए की सूचना किसी तरह गोखले हॉस्टल पहुंच गई और करीब दो- ढाई सौ छात्रों की भीड़ ट्रोमा इकाई पहुंच गई। मौके पर मौजूद हॉस्टलर्स बताते हैं कि ट्रोमा की इमरजैंसी इकाई में मौजूद चिकित्सकों ने उसका उपचार शुरू कर दिया था। मगर यहां कुछ चूक हो गई, जिसने तमाम घटनाक्रम का समूचा चेहरा ही बदल दिया। पहली समस्या यह थी कि कुलदीप ने चिकित्सकों को बताया कि उसे छाती में दर्द और घबराहट हो रही है। जानकारी पाकर जूनियर चिकित्सकों ने ईसीजी की मशीन मंगवा ली मगर उसकी रीडिंग को लेकर वे कोई निष्कर्स पर नहीं पहुंचे। तभी उन्होने ट्रोमा के पहली मंजिल पर बने वार्ड मं सीनियर्स से संपर्क करने की कोशिश की। यहां भी जब बात नहीं बनी तो उन्होंने वाट्सअप पर किसी सीनियर्स को ईसीजी के रिपोर्ट भिजवा दी।
सीनियर्स के एक्सन तक का काफी समय बेकार हो गया था। कुलदीप की नब्ज और धडकनों के द्बारा संभावित खतरे का संकेत मिलने पर चिकित्सकों ने पहला काम मरीज को ऑक्सीजन देने का था, मगर वह सिस्टम भी खराब था। तभी सीनियर्स के निर्देश पर पेसेंट को कोई लाईफ सेविंग इंजेक्शन देने की तैयारी करली। यहां समस्या यह थी कि इंजेक्सन की डोज कितनी दी जाए। इस बारे मं निर्णय लेने में फिर से देरी हो गई। जैसे ही इंजेक्ट हुआ तो कुलदीप तुरंत ही बेहोश हो गया। केस सीरियस देख कर उसे सीपीआर देने का प्रयास किया तो वह मशीन भी खराब पाई गई।
यहां गौरतलब यह रहा कि कुलदीप की चिकित्सा में अनावश्यक विलंब होने पर वह झटपटाकर मर गया। इमरजैंसी के बाहर खड़ी छात्रों की भीड़ ने शौर मचाना शुरू कर दिया। इस पर उनकी सुरक्षा गार्डो से जिद बहस हो गई। इकाई के किसी स्टाफ ने इस वाकिए की सूचना पुलिस को देदी तो, कुछ ही देर में पुलिस के कुछ कमांडो वहां पहुंच गए और छात्रों को समझाने का प्रयास किया। स्टूडेंट्स चाहते थ कि कुलदीप के उपचार के दौरान जो भी जांचे हुई थी, उसकी रिपोर्ट की प्रति दी जाए। पर पुलिस के कमांडों ने उन्हें इकाई के बाहर चाय की एक थड़ी पर बैठ कर इंतजार करने को कहा। इसी बीच संबंधित पुलिस थाने की फोर्स भी पहुंच गई।
उनके व्यवहार को लेकर छात्रों की भीड़ उग्र हो गई। स्टूडेंटस कहते थकि थाने के अधिकारी ने वहां पहुंचते ही फोर्स को निर्देश दिया कि छात्रों की भीड़ को वहां से भगा दिया जाए। यहां माहोल इस कदर बिगड़ा कि पुलिस के जवान छात्रों पर टूट पड़े। कुछ छात्रों को चोटें आई, जिनका प्राथमिक उपचार इमरजैंसी इकाई में कर दिया गया। मामला काबू के बाहर होता कि पुलिस के दो उच्च अधिकारी भी वहां पहुंच गए और स्थिति को किसी तरह हैंडिल कर लिया। इसी बीच कुलदीप का शव पोस्टमार्टम के लिए एसएमएस के मुर्दाघर पहुंचा दिया। छात्रों के अनुरोध पर कुलदीप की लाश का पोस्टमार्टम मैडिकल बोर्ड से करवा दिया।
पुलिस और छात्रों के बीच जो मौखिक बात हुई उसके मुताबिक तमाम वाकिए की जांच एक कमेटी करेगी। कमेटी के सदस्यों का मसला उच्च अधिकारियों पर छोड़ दिया। छात्रों ने इस दौरान इस बात की आशंका जताई कि थाने की पुलिस के अधिकारियों के व्यवहार से तमाम मामला बिगड़ा था। यहां तक उन्होने यह भी कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ कुछ भी नहीं होगा। इस लिए चुपचाप वहां से चले जाए, अन्यथा उन्हें सख्त कदम उठाना पड़ेगा। पुलिस के बदले हुए मूड से सारा मामला गर्मी खा गया।
कुलदीप की मौत के केस में पुलिस का एक्सन जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद होगा। इस बीच पोस्ट मार्टम रिपोर्ट भी कमेटी को मिल जाएगी। फिर जो भी फैसला होगा, सर्व मान्य होगा।तमाम घटनाक्रम के चलते कुलदीप की मौत का समाचार उसके पिता को मिल गया था। कुलदीप के बारे में यह भी बताया गया था कि वह सवाई माधोपुर के गांव कोसरा, तहसील खंडार का रहने वाला है। उसके पिता काश्तकारी करते है। वे दो भाई है। छोटा भाई अभी काफी छोटा है। इस पर अफसोस इस बात को लेकर था कि मृतक के परिजनों को मुआवजे के मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। आगे क्या होगा, इसके लिए कुछ दिनों का इंतजार करना होगा।