गंभीर बीमारी थी, एस.एम. एस. अस्पताल में ईलाज अधूरा छोड़कर भागी पार्वती

Samachar Jagat | Friday, 13 May 2022 02:33:54 PM
There was a serious illness, SM. s. Parvati ran away leaving the treatment incomplete in the hospital

जयपुर। सवाई मानसिंह अस्पताल में कहने को एक से एक गंभीर रोगी उपचार के लिए आते है, इस पर वे ठीक भी हो जाते है। मगर कुछेक पेसेंट की किस्मत काम नहीे करती। दर्जनोें चिकित्सकों के उपचार के बाद भी उसे निराशा हाथ लगती है। ऐसा ही एक रोगी अस्पताल में पेट मंें दर्द होने की शिकायत लेकर आई थी।

तरह- तरह की जांचों का सिलसिला कोई दो माह तक चलता रहा। इस बीच उसे इनडोर पेसेंट के तौर पर अस्पताल मेंे एक सप्ताह तक भर्ती भी रखा गया। मगर रोग रहस्यमय बना रहा। 25 वर्ष की इस देहाती महिला का नाम पार्वती देवी है। मध्य प्रदेश के धमोई कस्बे की रहने वाली है। पति कोई काम- काज नहीं करता है। शराब के सिवाए उसके पास कोई काम नहीे था। नश्ों में अपनी घरवाली से अक्सर मारपीट करता था। हार कर पार्वती अपनी माता- पिता के पास रहने लगी। खुद केे साथ- साथ अपनी दो साल की बेटी का खर्च चलाने के लिए खुली मजदूरी किया करती है। पार्वती के पिता के पास भी आय का स्थाई स्त्रोत नहीं था। ईट भटटों पर मजदूरी किया करता है। ऐसे में घर का राशन जुटाना मुश्किल था।


पार्वती की दुख भरी व्यथा उस वक्त शुरू हुई जब उसे अपच की शिकायत रहने लगी थी । पेट खराब रहने पर अक्सर डॉक्टरोें के यहां चक्कर काटती रहती है। बीमार महिला से संपर्क जे.के.लॉन अस्पताल के परिसर में हुई थी। भूख से परेशान थी। फिर अपनी नहीं बिटियां की भी चिंता किया करती है। ज्यादा नहींे तो आधा लीटर दूध तो उसे चाहिए ही था। जन सहयोग से उसका प्रबंध कर रही थी। महिला के पिता बताते है कि उसकी बेटी पेट के उपर वाले भाग और पसलियों के नीचे तेज दर्द की शिकायत करती थी। परिवार की आमद कम होने पर गांव के ही देशी वैद्योंं से उपचार करवा रही थी। मगर जब कोई लाभ नहीं हुआ तो वह कस्बे के आसपास के अनेक अस्पतालों में भी अपने ईलाज के लिए गई। तभी एक परिचित ने उसे जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में जाकर ईलाज करवाने का सुझाव दिया।


सांवले रंग की पतली- दुबली यह अक्सर देहाती पोशाक पहना करती थी स्टोमक तकलीफ के चलते उसका पेट असाधारण रूप से फूल गया था। हालत इस कदर खराब हो चली थी कि उसे बैठने मे तकलीफ होने लगी थी। जयपुर के सीनियर चिकित्सकोें का कहना था कि पेसेंट की पेट की तिल्ली मेें सोजन हो सकती है। पूरी जांच और प्राथमिक उपचार शुरू करने के लिए उसे एसएमएस के लेडीज मैडिकल वार्ड में भर्ती करवादी गई। यहां उसे दो तरह की परेशानी हुई। इसमें पहली पैसों की तंगी की थी। अपने गांव से जब वह जयपुर के लिए रवाना हुई तो परिचितोें से तीस हजार रूपए इकटठा कर पाई थी। इस रोग मेंे दवाएं तो महंगी थी ही, साथ में जांच में काफी अधिक पैसे लग रहे थ्ो।

कुछ ही दिनोंे में पैसे खत्म हो गए थ्ो। पिता और खुद का पेट भरने के लिए अस्पताल के प्रांगण में भोजन बांटने वाली गाड.ी लाइन में खड.ी मिलती थी। दवाओें की व्यवस्था के लिए उसने अस्पताल के अधीक्षक से भी संपर्क किया था। मगर कानून- कायदे के चहले उसे मुख्य मंत्री निशुल्क उपचार योजना का लाभ नहीं मिला। मैडिसीन की व्यवस्था ना होने पर मैडिकल इनडोर वार्ड के स्टाफ से अक्सर कहा सुनी हो जाती थी। वार्ड से बाहर निकालने के लिए धमकियां मिलने पर दुखी हो गई थी। दूसरी समस्या पेश्ोन्ट की महंगी जांचें थी , जिन्हें अस्पताल के बाहर से किसी निजी डायग्नोस्टिक सेंंटर से करवाई जा रही है। जब कि इन्हें अस्पताल में निशुल्क करवाया जा रहा था। एक ओर समस्या वार्ड के उस घटना को लेकर थी जिसमें दो सीरियस पेसेंट की एक साथ मौत होने पर परिजनों ने हंगामा मचाया।

चिकित्सकोें पर भी सवाल उठाए गए। इस पर माहौल इस कदर खराब हो गया था कि उसके दिमाग में यह बात फिट हो गई थी कि यहां रहने पर उसकी भी यही हालत हो जाएगी। मजबूरियां और भय के मारे वह अपना उपचार अधूरा छोड. कर वहां से भागली। चिकित्सक बताते हैं कि पार्वती को सप्लेनोमेगली या लिवर का कोई खतरनाक रोग हो गया है। जिसक ी पुख्ता जानकारी के लिए महंगे टेस्ट करवाने आवश्यक होते हैं। पेशेंट की आर्थिक हालत कमजोर होने पर चिकित्सक अपने निज स्तर पर दवाओंे की व्यवस्था का प्रयास कर रहे है। पार्वती देवी राजस्थान की निवासी ना होने पर उसे निशुल्क उपचार की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ईलाज अधूरा रखने और बिना किसी को बताए वहां से गुपचुप चले जान्ो का मामला उनके निज स्तर का है। इस मामले में पेसेंट ने अस्पताल प्रशासन से कोई शिकायत नहीं की है ।

पार्वती की मदद के लिए जयपुर की एक सेवा भावी संस्था ने संपर्क किया है। पार्वती देवी क ा मोबाइल नम्बर 8815207447 है। जिससे पीडि.ता के परिजनोें से संपर्क किया जा सकता है। मदद की पेशकश की जा सकती है।



 

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