काठमांडू। नेपाल में 29 मधेस और अन्य छोटी पार्टियों के एक गठबंधन ने आज प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को 15 दिन की एक नई समयसीमा दी ताकि वह नए संविधान में संशोधन की खातिर संसद में ऐसे प्रस्ताव पेश कर सकें जिनसे उनकी शिकायतें दूर हो सके।
जनजाति और मधेस पार्टियों का संघीय गठबंधन नए संविधान के खिलाफ प्रदर्शन करता रहा है। उसका कहना है कि नए संविधान से मधेसी समुदाय हाशिए पर चला जाएगा।
संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के अध्यक्ष उपेंद्र यादव ने सिंह दरबार स्थित प्रचंड के दफ्तर में उन्हें इस मामले पर एक स्मरण-पत्र सौंपा। गठबंधन की तरफ से यादव ने यह पत्र सौंपा।
प्रचंड के एक नजदीकी सूत्र ने यादव के हवाले से कहा, ‘‘संशोधन प्रस्ताव के पंजीकरण से तब तक काम नहीं चलेगा जब तक इसमें हमारी राय शामिल नहीं की जाए। प्रस्ताव हमें स्वीकार्य होना चाहिए और इससे हमारी मांगें पूरी होनी चाहिए।’’
यादव ने प्रचंड को बताया, ‘‘हम 15 दिन और इंतजार करने के लिए तैयार हैं। लेकिन प्रस्ताव हमें स्वीकार्य होना चाहिए।’’
जवाब में प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया कि वह दो-तीनों में संशोधन प्रस्ताव को पंजीकृत कराने के लिए काम कर रहे हैं।
यादव की 15 दिन की समयसीमा ने मधेसी मोर्चा से जुड़े अन्य नेताओं को चौंका दिया है क्योंकि वे दोहराते रहे हैं कि यदि संशोधन प्रस्ताव नवंबर के मध्य तक पंजीकृत नहीं किए गए तो वे एक और आंदोलन शुरू करेंगे।
उन्होंने कहा कि यादव ने 15 दिन की समयसीमा के बारे में चर्चा नहीं की थी। यादव की नई समयसीमा से ए नेता पसोपेश में पड़ गए हैं। वे शुक्रवार से संसद की बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं।