इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की लंबे अरसे से लंबित पड़ी मांग को पूरी करते हुए इस्लामाबाद में अधिकारियों ने अपने तरह के पहले फैसले में हिंदू मंदिर, सामुदायिक केंद्र और श्मशान भूमि के लिए जमीन आवंटित की है। यह फैसला हिंदुओं की बहुप्रतीक्षित मांगों के मद्देनजर लिया गया है।
कैपिटल डवेलपमेंट अथॉरिटी यानी सीडीए ने मंदिर, सामुदायिक केंद्र और श्मशान के लिए जमीन आवंटन किया है। यह अथॉरिटी इस्लामाबाद में विकास और नागरिक सुविधाओं की पूर्ति के लिए जिम्मेदार है। एक दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, सीडीए ने राजधानी के सेक्टर एच-9 में हिंदू मंदिर, सामुदायिक केंद्र और श्मशान भूमि के निर्माण के लिए सेक्टर एच-9 में आधा एकड़ भूखंड के आवंटन को अपनी मंजूरी दी।
समाचार पत्र के मुताबिक, यह हिंदू समुदाय की पुरानी मांग रही है, जो आखिरकार पूरी हो गई। इस्लामाबाद में करीब 800 हिंदू रहते हैं और यहां मंदिर नहीं होने की वजह से उन्हें दिवाली आदि धार्मिक त्योहार अपने घरों में ही मनाने पड़ते हैं। शहर में श्मशान के अभाव में शवों को रावलपिंडी या अपने गृह शहर तक लेकर जाना पड़ता है।
मंदिर के लिए आवंटित की गई जमीन बुद्धिस्ट सोसायटी को मुहैया कराई गई जमीन के नजदीक है। पाकिस्तान की कुल आबादी में 2 फीसदी हिंदू हैं और इनमें से ज्यादातर सिंध प्रांत में रहते हैं। पाकिस्तान में 1500 वर्ष पुराना हनुमान जी का पंचमुखी मंदिर भी है, जहां जाकर हिंदू पूजा—अर्चना करते हैं। इस्लामाबाद और रावलपिंडी की बात करें तो यहां सदार में कृष्ण मंदिर है। यहां के इस्लामकोट में एकमात्र राम मंदिर है। बलूचिस्तान में हिंगलाज माता का भी मंंदिर है।