लंदन। सरकार समर्थित एक रिपोर्ट में सोमवार को दावा किया गया कि ब्रिटेन अल्पसंख्यकों, खास तौर पर पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मूल के मुसलमानों को समाहित करने में सचमुच में नाकाम रहा है, जिससे चरमपंथियों को उनके शोषण का आधार मिल गया।
एक वरिष्ठ नौकरशाह डेम लुइस कासे ने समुदाय एकजुटता पर एक अध्ययन में सरकारों पर एकजुटता में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। उन्हें समाहित करने की कोशिशें साड़ी, समोसा और स्टील ड्रम से ज्यादा कुछ नहीं रहीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2010 से एकजुटता नीति सही नहीं रही है। सरकार की नीति के तहत बहुत कम कोष प्रदान किया जाता है जो छोटे स्तर की परियोजनाओं जैसे कि अंतर धार्मिक वार्ता, करी शेफ को प्रशिक्षण देना या भोज सहित समुदायों के बीच सामाजिक कार्यक्रम शामिल हैं।
‘द कासे रिव्यू ए रिव्यू इनटू अपोरच्यूनिटीज एंड इंटीग्रेशन’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कासे ने पाकिस्तान और बांग्लादेशी मूल के विस्थापितों के अलग थलग होने की खास तौर से आलोचना की है।