Constitution Day : भारतीय संविधान का इतिहास और महत्व जानें

Samachar Jagat | Friday, 25 Nov 2022 03:41:12 PM
Constitution Day : Know the history and importance of the Indian Constitution

भारत में 26 नवंबर को देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। देश में संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकार प्रदान करते हैं, वहीं इसमें दिए गए मौलिक कर्तव्य हमें हमारे दायित्वों की भी याद दिलाते हैं। भारत का संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। 

संविधान दिवस 2021: भारत के संविधान का इतिहास, महत्व और कुछ रोचक तथ्य

26 नवंबर, 1949 को देश की संविधान सभा ने विधिवत रूप से वर्तमान संविधान को अपनाया था। हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।

संविधान दिवस का इतिहास?

भारत के प्रत्येक नागरिक के बीच संविधान के बारे में जागरूकता पैदा करने और संवैधानिक मूल्यों का प्रचार करने के लिए 2015 में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में तय किया गया था। 19 नवंबर 2015 को सामाजिक न्याय मंत्रालय ने फैसला किया कि 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की परंपरा शुरू की जाएगी और तभी से इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

संविधान दिवस का महत्व

भारत ने औपचारिक रूप से 26 नवंबर, 1949 को संविधान को अपनाया और इसे 26 जनवरी, 1950 में लागू किया गया। भारत में संविधान को तैयार करने में कुल दो साल, 11 महीने और 18 दिन लगे। संविधान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य इसके निर्माता और देश के पहले कानून मंत्री डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को श्रद्धांजलि देना है। भारतीय संविधान में हमें जो भी अधिकार मिले हैं, जिनके आधार पर देश की सरकार और राजनीतिक सिद्धांत, प्रक्रियाएं, अधिकार, दिशा-निर्देश, प्रतिबंध और कर्तव्य आदि तय किए जाते हैं, उन्हें डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने लिखा था। आबेंडेकर द्वारा लिखित संविधान देश को एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है और अपने नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी देता है।
 
संविधान की जरूरत क्यों पड़ी?

200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन की समाप्ति के बाद भारत को एक ऐसे कानून की जरूरत थी, जो देश में रहने वाले लोगों और विभिन्न धर्मों के बीच समानता और एकता प्रदान कर सके। भारत को इस पुस्तक की जरूरत है ताकि देश एक हो और सभी लोगों को बिना किसी भेदभाव के उनके सभी अधिकार प्राप्त हों। इसे देखकर स्वतंत्रता सेनानियों में संविधान बनाने की मांग उठने लगी। जब देश आजाद होने वाला था तो संविधान सभा के गठन की मांग उठने लगी।



 

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