नवरात्रि पर्व के नौवें दिन को महा नवमी कहा जाता है। यह नवरात्रि के अंत और विजया दशमी से पहले पूजा का अंतिम दिन है।नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा शास्त्रों में वर्णित दिव्य विधान के अनुसार करनी चाहिए। नवमी के दिन देश के विभिन्न हिस्सों में देवी दुर्गा की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है। जहां ज्यादातर लोग मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। वहीं कुछ मां सरस्वती की पूजा करते हैं।
मां सिद्धिदात्री की कथा
मां सिद्धिदात्री आध्यात्मिक आनंद की लालसा रखने वालों की मनोकामना पूरी करने वाली देवी हैं। माँ सिद्धिदात्री को कभी-कभी आदिशक्ति भी कहा जाता है। जिनकी पूजा भगवान शिव करते हैं। वह अपने दाहिने हाथ में चक्र और गदा और अपने बाएं हाथ में शंख और कमल धारण करती हैं। देवी माँ का यह रूप कमल पर विराजमान है। मां सिद्धिदात्री शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के वैक्सिंग चरण) को नियंत्रित करती हैं और इसलिए ग्रह के दुष्प्रभाव से पीड़ित लोग खुद को इसके प्रतिकूल प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं।
महा नवमी 2022: शुभ मुहूर्त, तिथि
महा नवमी तिथि 3 अक्टूबर को शाम 04:37 बजे शुरू होगी और 4 अक्टूबर को दोपहर 02:20 बजे समाप्त होगी। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:38 बजे से 05:27 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 तक और विजय मुहूर्त दोपहर 02:08 से दोपहर 02:55 तक रहेगा।