जयपुर। जोधपुर जिले के बिलाड़ा गांव, श्री आई माता जी की पवित्र नगरी के तौर पर दुनिया भर में चर्चित है। यह मंदिर जयपुर रोड़ पर स्थित है। वहां के सेवकों और निवासियोंं का दावा है कि माता के इस मंदिर की ज्योत से काजल की तरह का केसर निकलता है। इसी चमत्कार के चलते वहां दूर- दूर से लोग इन माता जी के दर्शन के लिए आते हैं। लोगों की मान्यता है कि वहां आने वाले भक्त की कामना पूरी होती है। कहने को वहां पूरे साल भक्तों की भीड़ रहती है, मगर श्री राम नवमी और शरदीय नवरात्रा पर विशेष मेला भरता है।
कहा जाता है कि मां दुर्गा का अवतार आई माता गुजरात के अम्बापुर में अवतरीत हुई थी। अम्बापुर में कई सारे चमत्कारों के बाद वे बिलाड़ा आ गई थी। उनके केसर ज्योत को लेकर अनेक भक्तजन इस मंदिर को केसर ज्योति मंदिर के नाम से भी जानते है। यहां पर उन्होने भक्तों को 11 गुण व सदैव सन्मार्ग पर चलने के सदुपदेश दिए। ये 11 गुण आज भी लोगोे की जुबान पर हैं। उनके दिए आर्शीवाद को समझ कर स्वयं को भाग्यशाली मानते हैं।
कहा जाता है कि इस मंदिर की अखण्ड ज्योति के दर्शन से ही व्यक्ति के मन को शांति मिलती है साथ ही उसकी सभी बाधाएं दूर हो जाती है। बताते हैं कि इस मंदिर मंे एक गद्दी है, जिसकी पूजा भक्त सदियों से करते आए हैं। आई माता जी अखण्ड ज्योत की खासियत है कि ज्योत से टपकने वाली केसर लगाते ही भक्त को चमत्कारों का अहसास होने लगता है। उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। लोगों की आस्था के चलते वहां नवरात्री में भक्तों का इस कदर विशाल पड़ाव लगता है, सायं केे समय तो वहां का माहोल देखने लायक हो जाता है।
आई माता के बारे में जानकारी जुटाने के प्रयासों के समय अनेक बुजुर्ग भक्तजनों ने बताया कि बिलाड़ा के राजा एक समय आर्श्चयक रूप से गायब हो गए थ्ो। इस पर वहां की जनता में खलबली मच गई और वे उन्हें खोजने के लिए भागदौड़ करने लगे थे । खोजबीन करते हुए वे जब बिलाड़ा के आई माता के मंदिर पहुंचे तो उन्हें मैया का संदेश मिला कि आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। तुम्हारे ठिकाने के राजा कोई बड़ी चिंता से ग्रस्त हो गए थे । वे अब तुम्हें मंदिर के निकट ही मेरे पूजा स्थल पर मिल जाएंगे। अपने राजा के चमत्कार के बाद समूचे गांव ही नहीं दूर दराज के लोग माता के परमभक्त बन गए और नवरात्र के समय तो नौ दिन के लिए विशाला मेला भरने लगा है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार आज से 55० साल पहले आई माता स्वयं इस ज्योत को जलाया था। तभी से यह देशी घी की अखण्ड ज्योत जलती आ रही है। मंदिर के सेवक कहते हैं कि भक्तगण जब भी ज्योत के दर्शन करते हैं, उसके मन को बड़ा सकून मिलता है।
आई माता के पवित्र स्थान तक पहुंचने के लिए जोधपुर से बस, टेक्सी, जीप और रेल मार्ग भी है। यह मंदिर साल में केवल दो बार ही खुलता है। तब भारी संख्या मंे लोग यहां पहुंच कर मन्नत मांगते हैं। श्रद्धालुओंे के ठहरने के लिए मंदिर के भीतर ही धर्मशालाएं भी बनी हुई है। सात्विक भोजन की व्यवस्था भी है।