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भविष्य पुराण के अनुसार, जब कलियुग अपने चरम पर पहुंचेगा, तो समाज और मानव जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिलेंगे। नैतिकता और धार्मिकता का ह्रास होगा, और मनुष्य के व्यवहार में बड़ा बदलाव आएगा।
कलियुग की शुरुआत और भविष्य की स्थिति
राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद कलियुग की शुरुआत मानी जाती है। वर्तमान में कलियुग को लगभग 5000 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन इसके चरम तक पहुंचने में अभी और समय लगेगा। पुराणों में यह संकेत दिया गया है कि कुछ विशेष लक्षणों के प्रकट होने पर यह समझा जा सकता है कि कलियुग अपने अंत की ओर बढ़ रहा है।
कलियुग के अंत के संकेत
1. मनुष्य की आयु घट जाएगी
भविष्य पुराण में कहा गया है कि जब कलियुग का अंत निकट आएगा, तो मनुष्य की औसत आयु मात्र 20 वर्ष रह जाएगी। स्त्रियाँ केवल 5 वर्ष की आयु में ही संतान जन्म देने में सक्षम हो जाएंगी।
2. अधर्मपूर्ण अनुष्ठान होंगे
लोग ऐसे यज्ञ करेंगे जिनका वर्णन शास्त्रों में नहीं किया गया है। इन अनुष्ठानों का उद्देश्य मानव कल्याण नहीं, बल्कि विनाश होगा। इनके प्रभाव से ग्रहों, नक्षत्रों और तारों की स्थिति असामान्य रूप से बदल जाएगी।
3. पारिवारिक मूल्यों का पतन
समाज में रिश्तों की पवित्रता खत्म हो जाएगी—
- पुत्र अपने पिता को मजदूरी के लिए भेजेगा।
- बहू अपनी सास से घर के सभी काम करवाएगी।
- पति के जीवित रहते पत्नी को घर से निकाल दिया जाएगा।
- पत्नी के जीवित रहते पति दूसरी स्त्री को घर ले आएगा।
4. धर्म और आस्था का ह्रास
मनुष्य धार्मिक ग्रंथों, वेदों और पुराणों का आदर करना पूरी तरह से बंद कर देंगे। वे स्वयं को सर्वज्ञानी मानने लगेंगे और अहंकार से भर जाएंगे। लोग भगवान की पूजा और उपासना भी त्याग देंगे, जिससे समाज में लोभ, क्रोध और अधर्म बढ़ जाएगा।
5. प्राकृतिक आपदाएं और संसाधनों की कमी
- नदियाँ पूरी तरह सूख जाएंगी।
- अन्न उपजना बंद हो जाएगा, जिससे मनुष्य मांसाहार अपनाने पर मजबूर होंगे।
- गायें दूध देना बंद कर देंगी और धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएंगी।
- लोग बकरियों और भेड़ों का दूध पीने लगेंगे और बाद में उन्हें भोजन के रूप में ग्रहण करने लगेंगे।
6. समाज में हिंसा और अराजकता फैलेगी
- लोग म्लेच्छ (अनैतिक) प्रवृत्तियों को अपनाएंगे।
- पिता अपने पुत्रों की हत्या करेंगे और पुत्र अपने पिताओं का संहार करेंगे।
- विवाह की पवित्रता नष्ट हो जाएगी और लोग किसी भी कुल-वंश में विवाह करने लगेंगे।
निष्कर्ष
पुराणों में वर्णित ये लक्षण संकेत देते हैं कि जब कलियुग अपने चरम पर पहुंचेगा, तब समाज में भारी उथल-पुथल होगी। हालांकि, यह केवल धार्मिक ग्रंथों की दृष्टि से दी गई भविष्यवाणी है और इसे शाब्दिक सत्य के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। यह लेख केवल धार्मिक मान्यताओं और भविष्यवाणी पर आधारित है, न कि वैज्ञानिक तथ्यों पर।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं पर आधारित है। पाठक इसे अंतिम सत्य न मानें और अपने विवेक का उपयोग करें। Samachar Jagat इसकी प्रामाणिकता का दावा नहीं करता।