देश के किसानों के लिए अच्छी खबर नहीं है। पिछले साल के अच्छे मानसून के बाद इस वर्ष बारिश कम होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
मानसून के संबंध में अनुमान लगाने वाली निजी संस्थान स्काईमेट का मानना है कि इस वर्ष मानसून के दौरान बारिश कम होगी। संस्थान के अनुमान के मुताबिक लंबी अवधि के औसत के 95 प्रतिशत ही बारिश की उम्मीद है।
देश में लंबी अवधि का मानसून औसतन जून से सितम्बर के मध्य हुई वर्षा से निकाला जाता है। औसत में 887 मिलीमीटर है, किन्तु 2017 में बारिश इस स्तर से कम रहने का अनुमान है।
खरीफ की फसल के लिये मानसून बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस मौसम की खेती मुख्यत: दक्षिणी- पश्चिमी मानसून पर निर्भर करती है। यदि 5 प्रतिशत कम बारिश हुई तो खरीफ की पैदावार पर इसका असर पड़ सकता है।
मानसून के दौरान केवल पूर्वी भारत के विशेषकर उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और झारखंड में अच्छी वर्षा का अनुमान व्यक्त किया गया है।