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26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आई सुनामी में 2,27,000 से अधिक लोगों की जान गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटना फिर हो सकती है। इंडोनेशिया के बांदा आचे में रहने वाली कट सिल्विया आज भी अपनी दो साल की बेटी की आंखों में आखिरी बार देखने का दर्द भूल नहीं पाई हैं।
सिल्विया और बुडी की अभी भी लापता बेटी, सिटी [बुडी परमाना के सौजन्य से]
यह एक सामान्य सुबह थी जब सिल्विया और उनके पति ने देखा कि लोग उनके घर के सामने से भागते हुए समुद्र का पानी आने की चेतावनी दे रहे थे। अपनी बच्ची, सिति, को गोद में लिए सिल्विया पानी की लहरों से घिर गईं।
2018 में इंडोनेशिया के सेंट्रल सुलावेसी के पालू में तालीसे बीच पर आए भीषण भूकंप और सुनामी के बाद एक व्यक्ति एक इमारत की साइड में खड़ी कार की तस्वीर लेता हुआ [फाइल: टाटान सुफलाना/एपी]
"मैं उस पल को शब्दों में बयां नहीं कर सकती जब मेरी बेटी की आंखें मेरी आंखों में देख रही थीं। वह कुछ नहीं बोल रही थी, सिर्फ मुझे देख रही थी। मैं जानती थी कि हम अलग हो जाएंगे," सिल्विया ने कहा।
सुनामी ने सिति को अपने साथ बहा दिया। सिल्विया और उनके पति, बुदी, को लगभग एक सप्ताह बाद 600 किलोमीटर दूर मेदान में फिर से मिलाया गया।
विशेषज्ञों की चेतावनी:
विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्री स्तर में वृद्धि और सुनामी के बढ़ते खतरे के कारण भविष्य में ऐसे विनाशकारी घटनाओं की संभावना बढ़ गई है। सुनामी से निपटने के लिए नई तकनीकों और योजनाओं पर काम हो रहा है, लेकिन समय रहते चेतावनी और तैयारी जरूरी है।
PC - ALJA ZEERA