नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राजधानी दिल्ली में बढ़े प्रदूषण को रोकने के मामले में सरकार के कदम को नाकाफी बताते हुए आज केंद्र सरकार को प्रदूषण से निपटने के लिए जल्द से जल्द योजना बनाने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह इस बात का इंतजार कर रही है कि लोग दिल्ली की सडक़ों पर प्रदूषण के कारण जान दें।
न्यायालय ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण न्यायाधिकरण (ईपीसीए) की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी उस वक्त की जब सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने न्यायालय को बताया कि राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के स्तर का पता लगाने के लिए सिर्फ तीन ही निगरानी केंद्र हैं, लेकिन समीपवर्ती इलाकों में ऐसा एक भी केंद्र नहीं है।
कुमार ने बताया कि दिल्ली में सिर्फ तीन जगह- दिलशाद गार्डन, शादीपुर डिपो और द्वारका में प्रदूषण नियंत्रण केंद्र हैं। इस पर न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि दो करोड़ की आबादी वाली दिल्ली में तीन केंद्र काफी नहीं हैं।
न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 25 नवंबर की तारीख मुकर्रर करते हुए उस दिन तक प्रदूषण स्तर की ग्रेडिंग के हिसाब से कार्ययोजना पेश करने का केंद्र सरकार को निर्देश दिया।
दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर को लेकर पर्यावरणविद् सुनीता नारायण ने पिछली सुनवाई पर न्यायालय को बताया था कि राजधानी में स्वास्थ्य की ²ष्टि से आपात स्थिति पैदा हो गई है। नारायण ईपीसीए की सदस्य हैं।
न्यायालय ने कहा कि सरकार ने जो जवाब दिया है वह पर्याप्त नहीं है। सरकार का तरीका कामचलाऊ है।