जुलाई महीने में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनावों को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है की वो राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनावों की रेस में नहीं है।
उन्होंने नागपुर में बोलते हुए कहा कि अगर मेरे पास इस चुनाव को लड़ने के लिए या राष्ट्रपति बनने के लिए प्रस्ताव आता भी है तो में उसे स्वीकार नहीं करूंगा।
राष्ट्रपति बनाए जाने की खबरों को लेकर एक संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि मीडिया में जो चल रहा है वो होगा हीं नहीं, हम संघ में काम करते हैं और हमें वहां नहीं जाना है।
हाल ही में खबर आई थी कि एनडीए सरकार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को अगला राष्ट्रपति बना सकती है।
इस खबर को तब और बल मिला था जब शिवसेना की ओर से ऐसी मांग की गई थी कि हिंदुत्व का चेहरा और साफ छवि वाले मोहन भागवत को देश का अगला राष्ट्रपति बनाया जाए।
शिवसेना सासंद संजय राउत का कहना था कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए भागवत अगले राष्ट्रपति के तौर पर सही होंगे।
संजय राउत ने क्या कहा थाः
राउत ने कहा था, ‘ये देश का सबसे ऊंचा ओहदा है। इसके लिए किसी साफ छवि के शख्स को ही चुना जाना चाहिए। मैंने सुना है कि जिन उम्मीदवारों पर चर्चा हो रही है, उनमें मोहन भागवत भी शामिल हैं।
कौन है मोहन भागवतः
मोहनराव मधुकर राव भागवत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक सर्वोच्च प्रमुख हैं। उन्हें मार्च 2009 में के.एस. सुदर्शन का उत्तराधिकारी चुना गया था। वे लम्बे समय से संघ से जुड़े कार्यकारी रहे हैं, और संगठन में काम करते हुए सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं।
मोहनराव भागवत का जन्म महाराष्ट्र के एक छोटे से कस्बे चंद्रपुर में हुआ था। वे संघ कार्यकर्ताओं के परिवार से आते हैं। उनके पिता मधुकर राव भागवत चंद्रपुर क्षेत्र के कार्यवाह सचिव पद पर थे और उन्होंने गुजरात में प्रांत प्रचारक के तौर पर काम किया था।
मधुकर राव भागवत ने ही भाजपा के शीर्षस्थ नेता लालकृष्ण आडवाणी को संघ में दीक्षित कराया था। मोहनराव अपने पिता के सबसे बड़े बेटे हैं। उनके तीन भाई और एक बहिन है।