मुंबई। देशभक्ति की भावना नहीं रखने के लिए वाम दलों को जिम्मेदार ठहराते हुये इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने आज कहा कि आज की तारीख में देशभक्ति को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है जो मौजूदा सरकार से वैचारिक भिन्नता से आगे जाती हो और जो वस्तुनिष्ठता के साथ सेना की भी आलोचना करे।
मुंबई साहित्य सम्मेलन में यहां उन्होंने कहा, ''देशभक्ति का मतलब मौजूदा सरकार के प्रति निष्ठा नहीं है। एक देशभक्त को ईमानदार और निष्पक्ष तरीके से सेना की आलोचना करनी चाहिए जो हमारे देश में अब प्रतिबंधित हो गया है।
इतिहासकार ने कहा, '' यदि इसकी या उसकी सरकार साथी नागरिकों के खिलाफ अपराध करती है और उसे सही मायने में कोई शर्म नहीं आती तो वह सच्चा राष्ट्रवादी नहीं हो सकता। कोई भी ऐसा व्यक्ति सच्चा राष्ट्रवादी नहीं हो सकता जिसके भीतर शर्म की भावना नहीं हो।
भाषा