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इंटरनेट डेस्क। देश के शीर्ष कोर्ट ने आज राज्यपाल और राष्ट्रपति की बिल मंजूरी की समय सीमा तय करने वाली याचिकाओं पर अपना महत्वपूर्ण फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ओर से पूछे गए 14 सवालों के जवाब में टिप्पणी दी है।
खबरों के अनुसार, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संविधान के मुताबिक, किसी के पास भी गवर्नरों के पास विधानसभाओं से पारित बिलों पर रोक लगाने का अधिकार है। इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि राज्यपालों के पास विधानसभा से पारित बिलों को लेकर केवल तीन विकल्प हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि तीन विकल्प के तौर पर या तो बिल को मंजूरी दी जाए या विचार के लिए भेजा जाए या उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने आज ये भी बोल दिया कि किसी भी बिल की मंजूरी के लिए कोई समय सीमा नहीं तय की जा सकती है, लेकिन अगर देरी होती है तो कोर्ट दखल देगा।
PC: jansatta
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