संयुक्त राष्ट्र | भारत ने अफगान समाज में महिलाओं को दिए भेदभावपूर्ण निम्न दर्जें पर बुधवार को चिता व्यक्त की, जिससे युद्धग्रस्त देश में लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ता है। भारत ने सुरक्षा परिषद से आतंकवाद के परिणाम स्वरूप महिलाओं के अधिकारों पर पड़ने वाले असर पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की महिलाओं और शांति एवं सुरक्षा पर खुली चर्चा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने कहा कि भेदभावपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक संरचनाओं ने महिलाओं के खिलाफ हिसा को व्यस्थित तरीके से गंभीर बना दिया है, जिससे सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों में महिलाएं आसान शिकार बन जाती हैं।
तिरुमूर्ति ने भारत के उस गहरे विश्वास को रेखांकित किया जिसके तहत शांति के लिए राजनीतिक प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी और समावेश के लिए एक अनुकूल वातावरण अपरिहार्य है। तिरुमूर्ति ने कहा, ''ऐसे माहौल को बढ़ावा देने के लिए लोकतांत्रिक राजनीति, बहुलवाद और कानून का राज पूर्व शर्त हैं। हमारे क्षेत्र में स्थिरता के लिए हम अफगानिस्तान में समावेशी और प्रतिनिधित्व शासन की महत्ता पर जोर दे रहे हैं, जिसमें महिलाओं की सार्थक भागीदारी हो।’’
भारतीय राजदूत ने कहा, ''हम खासतौर से अफगान समाज में महिलाओं को दिए जा रहे भेदभावपूर्ण निम्न दर्जे को लेकर चितित हैं, जिससे अफगान लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और हिसक चरमपंथ मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता बना हुआ है और यह वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए निरंतर खतरा बना हुआ है।
उन्होंने अफसोस जताया कि चरमपंथी समूह और आतंकी ने महिलाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया नेटवर्क का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। तिरुमूर्ति ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में सक्रिय महिलाओं को धमकी दी जा रही है और उनकी आवाज दबाने के साथ भेदभावपूर्ण विचारों और हिसक कट्टरता को बढ़ावा दिया गया है।