लाहौर। पूर्व पाकिस्तानी कप्तान इमरान खान ने पीएसएल ट्वंटी 20 टूर्नामेंट का फाइनल खराब सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद देश में कराने के लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) की कड़े शब्दों में आलोचना की है।
इमरान ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह एक गलत निर्णय है। उन्होंने कहा मेरे हिसाब से लाहौर में पीएसएल फाइनल कराने का निर्णय पागलपनभरा है। पीसीबी को गद्दाफी स्टेडियम में हुई बैठक के बाद आखिरकार पंजाब सरकार की तरफ से पाकिस्तान सुपर लीग का पांच मार्च को फाइनल आयोजित करने की अनुमति मिल गई है।
पिछले कई दिनों से पीएसएल टूर्नामेंट से अधिक उसका फाइनल मैच सुर्खियों में बना हुआ था और यह तय नहीं था कि लाहौर में खिताबी मुकाबला होगा या नहीं। पिछले कुछ दिनों में लाहौर में एक के बाद एक बम धमाके हुए हैं जिनमें कई लोगों की जानें गई हैं और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
हालांकि पंजाब सरकार की ओर से आतंकी हमलों के बावजूद लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में फाइनल कराने की हरी झंडी के बाद स्थिति साफ हो गई है। पाकिस्तान के महान क्रिकेटर और अब देश की मुख्य विपक्षी पार्टी तहरीक ए इंसाफ के नेता इमरान ने इस निर्णय को सिरे से खारिज करते हुए इसे बेवकूफाना बताया है। उन्होंने कहा हम दुनिया को क्या संदेश देना चाहते हैं।
पूर्व कप्तान ने कहा कि यदि पीएसएल फाइनल लाहौर में नहीं भी होगा तो इससे पाकिस्तान क्रिकेट की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन भारी सुरक्षा और सडक़ें बंद करके मैच कराने से वैश्विक स्तर पर गलत संदेश जाएगा।
इमरान ने साथ ही कहा कि फाइनल मुकाबले में फ्रेंचाइजियों के मुख्य विदेशी खिलाड़ी खेलने ही नहीं उतरेंगे ऐसे में लाहौर में मैच कराने का कोई फायदा नहीं है। उन्होंने कहा यदि फाइनल के दौरान कोई घटना हो जाती है तो इससे पाकिस्तान क्रिकेट और भी पीछे चला जाएगा और फिर इससे उबर पाना कठिन होगा।
इमरान ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के कई पूर्व खिलाडियों ने भी इस निर्णय को गलत बताया है जिनमें जावेद मियांदाद और आमिर सोहेल जैसे दिग्गज भी शामिल हैं। वहीं पीसीबी के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी आरिफ अली खान अब्बासी ने भी सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देते हुए माना कि लाहौर में खेलना जोखिम भरा हो सकता है।
मियांदाद ने कहा मुझे लगता है कि लाहौर में मैच कराने का निर्णय ठीक नहीं है क्योंकि यदि कुछ गलत होता है तो इसके लिए बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि ऐसा करने से क्या हासिल होगा। उन्होंने साथ ही कहा कि यदि लाहौर में फाइनल हो भी जाता है तब भी अंतरराष्ट्रीय टीमें पाकिस्तान वापिस नहीं आएंगी।
वहीं सोहेल ने भी पूर्व क्रिकेटरों की बात का समर्थन करते हुए कहा कि इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा यह पीएसएल के अध्यक्ष नकाम सेठी के अडिय़ल रवैये के कारण हो रहा है। इससे कुछ हासिल नहीं होगा। लेकिन अब पीसीबी और सरकार के लिए इस मैच को सुरक्षित ढंग से कराना एक बड़ी चुनौती होगा।
पूर्व पीसीबी अधिकारी अब्बासी ने भी माना कि यह जोखिमभरा फैसला है। उन्होंने कहा इस समय माहौल बहुत तनावपूर्ण है और ऐसे में इतना जोखिम उठाने की जरूरत ही क्या है। जब तक देश में शांति बहाल नहीं होती है पाकिस्तान में वैसे भी बड़ी टीमें खेलने नहीं आने वाली हैं।
गौरतलब है कि पीसीबी और सरकार के लिए अब पांच मार्च को होने वाले फाइनल के लिये सुरक्षा व्यवस्था सबसे बड़ी सिरदर्दी है और इसी के मद्देनजर सरकार ने सोमवार को ही यह घोषणा कर दी कि अब छह मार्च तक गद्दाफी स्टेडियम की ओर जाने वाली सभी सडक़ें, आसपास के रेस्त्रां और दुकाने आम लोगों के लिए बंद रहेंगे। वहीं फाइनल के लिए करीब 10 हजार सुरक्षाकर्मियों को भी नियुक्त किया जाएगा।