राजस्थान का मेनाल छोटा सा स्थान है पर यह अपने प्राकृतिक सौन्दर्य, अलौकिक, नैसर्गिक वैभव, वाटरफॉल और मंदिर के कारण बहुत प्रसिद है। इस जगह पर पर्यटन और आस्था दोनों का संगम भी देखने के मिलता है। चित्तौड़ राजमार्ग पर बूंदी से करीब 100 किलोमीटर और चित्तौड़ से 70 किलोमीटर की दूरी पर मेनाल स्थान है।
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मेनाल की ग्रेनाइट की सख्त चट्टानों से 100 फीट गहरा पानी नीचें की और गिरता है। इस नदी का पानी जिस जगह पर गिरता है, ठीक उसी स्थान पर नदी के पाट के दाहिनी ओर महानाल मठ और शिवालय है। यहां पर महानाल मंदिर में बहुत सारे अन्य मंदिर भी बने हैं। इन मंदिरों का निर्माण अजमेर और दिल्ली के चौहान वंशी राजाओं ने करवाया था। महानालेश्वर मंदिर शिव को समर्पित है।
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यह मंदिर भूमिज शैली में बनाया गया है और इसके सामने एक छतरी के नीचे नंदी की बड़ी सी मूर्ति बनी हुई है। इस मंदिर की दीवारों पर शेरों, अप्सराओं, हाथियों आदि की जीवंत कलात्मक मूर्तियां लगाई गई हैं और पास के पत्थरों पर बेल-बूटे बने हैं। यहां पर घुमने के लिए बहुत सारे मशहूर स्थान हैं, जैसे कि तारागढ़ किला, बूंदी महल, रानीजी-की-बावडी आदि। इन महलों की दीवारों पर रासलीला की कहानियों के दृश्यों को दर्शाते चित्र बने हैं। यहां की ये सभी चीजें पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं और इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।
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