मुंबई। अर्थव्यवस्था नोटबंदी के प्रभाव से मार्च तिमाही में उबर जाएगी लेकिन इसके भारी प्रभाव का मतलब है कि वृद्धि में तेजी अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ही आ पाएगी।
जापान की ब्रोकरेज नोमुरा ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि जो प्रमुख संकेतक हैं, वे 2017 की पहली तिमाही में स्थिरीकरण का संकेत देते हैं। नोटबंदी से निकट भविष्य में नरमी बढऩे की आशंका है जिसका कारण नकदी में कमी है। नोटबंदी से पहले के आंकड़े बताते हैं कि आर्थिक गतिविधियां पहली तिमाही में स्थिर हो सकती हैं। इसमें कहा गया है कि उपभोग अर्थव्यवस्था के लिए खासा महत्वपूर्ण है।
इसमें कहा गया है कि नकदी की अस्थाई कमी से जीडीपी वृद्धि के कम होकर 2016 की चौथी तिमाही में 6.5 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है जबकि हमारा मौजूदा अनुमान 7.3 प्रतिशत है। वहीं 2017 की पहली तिमाही में 7.5 प्रतिशत रह सकती है जिसके पहले 7.9 प्रतिशत रहने का अनुमान था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रा की कमी दूर होने के साथ इसकी उपलब्धता एवं अन्य कारकों से जून तिमाही से तीव्र वृद्धि की उम्मीद है।
जिन अन्य कारकों से वृद्धि को गति मिल सकती है, वे कम ब्याज दर, बैंक क्षेत्र में नकदी की वृद्धि, ग्रामीण क्षेत्रों में खपत में वृद्धि, राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि तथा सार्वजनिक पूंजी व्यय में वृद्धि हैं।