मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए मुंबई की मशहूर हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटा दी है। दरगाह के भीतरी गर्भगृह में प्रवेश पर पाबंदी को गैरजरूरी माना और बैन हटा लिया। इसके साथ ही अब महिलाएं दरगाह में चादर चढ़ा सकेंगी। नौ जुलाई को दो जजों की बेंच में मामले में आखिरी सुनवाई हुई थी।
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न्यायमूर्ति वीएम कनाडे और जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता जाकिया सोमन, नूरजहां सफिया नियाज की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव मोरे ने हाई कोर्ट में पैरवी की। कानाडे और मोहिते डेरे की खंडपीठ ने कहा, हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर लगाया गया प्रतिबंध भारत के संविधान की धारा 14, 15, 19 और 25 का विरोधाभासी है। नियाज ने अगस्त 2014 में अदालत में याचिका दायर कर यह मामला उठाया था।
फैसले पर छह हफ्तों की रोक
दरगाह ट्रस्ट हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। ट्रस्ट ने ऊपरी अदालत में अपील के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा था। जिस पर हाई कोर्ट छह हफ्ते का समय दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने छह हफ्ते के लिए अपने आदेश पर भी रोक लगा दी है। यानी फिलहाल छह हफ्ते तक महिलाओं को दरगाह के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
याचिकाकर्ता के वकील राजू मोरे ने अदालत के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, 'कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटा लिया है। अदालत ने इसे असंवैधानिक माना है। दरगाह ट्रस्ट ने कहा है कि वो हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।'
ट्रस्ट ने कहा- महिलाओं का प्रवेश 'पाप'
दरगाह के ट्रस्ट का कहना है कि यह प्रतिबंध इस्लाम का अभिन्न अंग है और महिलाओं को पुरुष संतों की कब्रों को छूने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अगर ऐसा होता है और महिलाएं दरगाह के भीतर प्रवेश करती हैं तो यह 'पाप' होगा।
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दूसरी ओर, इस याचिका में कहा गया है कि कुरान में लैंगिग समानता अंतर्निहित है और पाबंदी का फैसला हदीस का उल्लंघन करता है जिसके तहत महिलाओं के मजारों तक जाने पर कोई रोक नहीं है।
महाराष्ट्र सरकार ने पहले अदालत में कहा था कि हाजी अली दरगाह के मजार वाले हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर रोक तभी होनी चाहिए जब कि कुरान में ऐसा उल्लेख किया गया हो।
दरगाह न्यास ने अपने फैसले का यह कहते हुए बचाव किया था कि कुरान में यह उल्लेख है कि किसी भी महिला को पुरूष संत की दरगाह के करीब जाने की अनुमति देना गंभीर गुनाह है।