Rajasthan Tourism App - Welcomes to the land of Sun, Sand and adventuresनई दिल्ली। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक हिमालय के गंगा बेसिन क्षेत्र में झरनों, झीलों और नदियों के स्रोत सूखने के कारणों और इन्हें पुनर्जीवित करने के उपायों की पड़ताल कर रहे हैं ।

गंगा में मिलते है 26 हजार जल स्त्रोतः
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह की माने तो हिमालय क्षेत्र के करीब 26 हजार जलस्रोत गंगा नदी में मिलते हैं। इनमें से कई जल स्रोतों के सूखने की बात सामने आई है। ऐसे में इनके बारे में जानकारी जुटायी जा रही है और इसकी गणना के कार्य को आगे बढ़ाया गया है।

कैसे होंगे जल स्त्रोत रिचार्जः
उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत पता लगाया जा रहा है कि कहां पर जल स्रोत सूख गये हैं, कहां जल प्रवाह कम हो गया है और इनको रिचार्ज कैसे किया जा सकता है। सिंह ने कहा कि 30-31 मार्च को हुए स्मार्ट इंडिया हैकाथन में 1296 टीमों के एक लाख शिक्षकों एवं छात्रों ने गंगा में प्रदूषण, गंगा के प्रवाह एवं गंगा जल को निर्मल बनाने के विषय पर मंथन किया था।
हिमालयी क्षेत्र में जल स्रोतों के पुनर्जीवन से जुड़ी परियोजना के तहत भविष्य में जल की उपलब्धता कैसी रहेगी, इसका भी आकलन किया जाएगा। यह अध्ययन ‘नेशनल मिशन फॉर सस्टेनिंग हिमालयन इकोसिस्टम’ (एनएमएसएचई) प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है।

जल स्रोत सूखने से हो सकती है बड़ी समस्यांः
गौरतलब है कि हिमालय के गंगा बेसिन क्षेत्र में जल स्रोत सूखने या उनमें पानी कम होने से भविष्य में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसे देखते हुए भारत सरकार ने यह परियोजना शुरू की है जिसके अंतर्गत ग्लेशियर एवं हिमपात पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का भी अध्ययन किया जा रहा है। वैज्ञानिक पता लगाएंगे कि हिमालय में जल की उपलब्धता क्या है? यदि यह घट रहा है तो भविष्य में नदियों पर इसका क्या असर होगा?

जलवायु परिवर्तन तो नहीं है कारणः
इसके अलावा यह भी पड़ताल होगी कि जो जलस्रोत सूखे हैं या जिनमें पानी कम हुआ है, उनमें पानी की उपलब्धता कहां से थी और किन वजहों से पानी स्रोतों तक नहीं पहुंच रहा है। यदि जलवायु परिवर्तन इसका कारण है तो भविष्य में इसके क्या दुष्परिणाम होंगे।

गंगोत्री से ऋषिकेश तक के इलाके का होगा अध्ययनः
मंत्रालय के अनुसार एनएमएसएचई प्रोजेक्ट चार साल का प्रोजेक्ट है। इसके 11 सब प्रोजेक्ट हैं, जिन पर अध्ययन शुरू हुआ है। गंगोत्री से ऋषिकेश तक गंगा बेसिन के इलाके का अध्ययन किया जाना है। हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के चलते वर्तमान और भविष्य में जल की उपलब्धता का आकलन किया जाएगा। उल्लेखनीय है यह स्थिति तब है जब दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी भारत में बसती है जबकि इसके मुकाबले पानी की उपलब्धता मात्र 4 प्रतिशत है। जनसंख्या के साथ तेज गति से औद्योगीकरण हो रहा है और सिंचाई की परियोजनाएं भी बढ़ रही हैं ।
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