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इंटरनेट डेस्क। शारदीय नवरात्रि का आज सातवां दिन है और यह दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित है, इस तिथि को महासप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करने और उन्हें उनका प्रिय भोग अर्पित करने से जीवन से सभी कष्ट और भय दूर हो जाते हैं।
कौन हैं मां कालरात्रि?
मां कालरात्रि मां दुर्गा का सबसे उग्र और शक्तिशाली स्वरूप मानी जाती हैं, इनका रंग रात के अंधकार की तरह काला है, इनके बाल बिखरे हुए हैं और इनकी तीन विशाल नेत्र हैं, ये गर्दभ (गधे) पर सवार रहती हैं और इनके चार हाथ हैं।
मां कालरात्रि को कौन सा भोग लगाएं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीज़ें अति प्रिय हैं।
मां कालरात्रि को शुद्ध गुड़ का भोग लगाने से वह शीघ्र प्रसन्न होती हैं,
गुड़ से बने मालपुए या खीर का भोग भी लगा सकते हैं, माना जाता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं
चने को गुड़ के साथ अर्पित करना भी मां कालरात्रि को अत्यंत प्रिय है।
कई स्थानों पर मां कालरात्रि को शहद का भोग लगाने की भी परंपरा है
सप्तमी तिथि का शुभ मुहूर्त (29 सितंबर 2025)
सप्तमी तिथि आरंभः 28 सितंबर 2025 को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से
सप्तमी तिथि समाप्त 29 सितंबर 2025 को शाम 04 बजकर 31 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
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