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अगर आप नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में शिफ्ट करने का विचार कर रहे हैं, तो उससे पहले कुछ अहम बातों को जानना बेहद जरूरी है। नई टैक्स व्यवस्था पहली बार वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में पेश की गई थी। इसका उद्देश्य टैक्स स्लैब को सरल बनाना और टैक्स दरों को कम करना था। हालांकि, अब तक बहुत कम टैक्सपेयर्स ने पुरानी टैक्स व्यवस्था को छोड़कर नई व्यवस्था को अपनाया है।
नई टैक्स रिजीम की प्रमुख विशेषताएं
नई टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब कम हैं, लेकिन इसमें अधिकतर टैक्स छूटें और कटौतियां हटा दी गई हैं। मतलब अगर आप धारा 80C, 80D, HRA, होम लोन जैसी छूटों का लाभ उठाते हैं, तो नई व्यवस्था आपके लिए फायदेमंद नहीं हो सकती।
पुरानी टैक्स रिजीम क्यों है ज्यादा फायदेमंद?
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टैक्स छूटों का फायदा
पुरानी टैक्स रिजीम में आप विभिन्न निवेश साधनों (जैसे- PPF, ELSS, LIC प्रीमियम) पर टैक्स छूट ले सकते हैं, जिससे टैक्स लायबिलिटी काफी कम हो जाती है।
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HRA और LTA का लाभ
अगर आप किराए पर रहते हैं, तो HRA क्लेम करके काफी बड़ी टैक्स बचत कर सकते हैं। नई टैक्स रिजीम में इस सुविधा का लाभ नहीं मिलता।
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होम लोन पर ब्याज छूट
होम लोन के ब्याज पर भी धारा 24(b) के तहत 2 लाख रुपये तक की छूट मिलती है, जो नई टैक्स व्यवस्था में नहीं मिलती।
कब बेहतर है नई टैक्स रिजीम चुनना?
फैसला सोच-समझकर लें
नई टैक्स रिजीम में शिफ्ट करने का फैसला आपकी कमाई, निवेश और खर्चों पर निर्भर करता है। बेहतर रहेगा कि आप किसी टैक्स एक्सपर्ट से सलाह लेकर अपनी टैक्स लायबिलिटी की तुलना करें और फिर सही विकल्प चुनें।