नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरूण जेटली ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिये कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीक और अधिक उपज वाली फसलों कि किस्म अपनाये जाने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा कृषि क्षेत्र को दिए जाने वाले प्रोत्साहन ढांचे की भी समीक्षा की जरूरत है। साथ ही कृषि उपज के नुकसान को कम करने और कृषि उत्पादों के विपणन को बेहतर बनाने की भी जरूरत है। जेटली ने यह बात आज यहां कृषि क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ अपनी पहली बजट पूर्व विचार विमर्श एवं सलाहकार बैठक में कही।
जेटली ने कहा, ''भविष्य में कृषि उत्पादन को बढ़ाने और 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने को सुनिश्चित करने के लक्ष्य के लिए हमें उच्च कृषि उत्पादकता चाहिए और इसके लिए यह भी ध्यान में रखना होगा कि फसली भूमि की विस्तार की अपनी सीमाएं हैं।
जेटली ने तकनीक के प्रयोग पर जोर देते हुए कहा कि हमें विशेषतौर पर उच्च पैदावार और प्रतिरोधक क्षमता वाले बीजों, सिंचाई के लिए पानी के किफायती इस्तेमाल, नयी सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल जिससे कि मौसम के अनुरूप चरणों में बुवाई की जा सके इत्यादि को भी अमल में लाने की जरूरत है।
किसानों तक मूल्य लाभ पहुंचाने के बारे में जेटली ने कहा कि इसके लिए किसानों को समय से बाजार की जानकारी दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऐसे सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप का विकास हो रहा है जो किसानों और ग्राहकों के बीच संपर्क स्थापित करेगा।
जेटली ने कहा कि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए तकनीक के प्रयोग के साथ कृषि क्षेत्र के प्रोत्साहन ढांचे की समीक्षा किए जाने की भी जरूरत है। कृषि उपज के नुकसान को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उत्पाद का विपणन बेहतर करने की भी जरूरत है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ''वित्त मंत्री ने कहा कि 'राष्ट्रीय कृषि बाजार' को प्रभावी रूप से क्रियान्वित किए जाने के लिए 2017 तक देश की 550 विनियमित मंडियों के एकीकरण की जरूरत है और उसके लिए राज्यों को कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता है।
बैठक में कृषि क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने कई सुझाव दिए जिसमें 'जिला सहकारी बैंकों को पर्याप्त मात्रा में कोष उपलब्ध' कराने जैसा मुख्य विषय शामिल हैं क्योंकि अधिकतर कृषकों के खाते इन्हीं बैंकों में हैं।
भाषा