सीबीएसई से हाई कोर्ट ने ये जवाब माँगा है की, नाम बदल चुकी एक लड़की को अभी तक सर्टिफिकेट क्यों नही दिया गया। जबकि उसके पासपोर्ट, पैन कार्ड, आधार कार्ड उसके नाम पर जारी कर दिया गया है। जस्टिस कामेश्वर राव ने भी लड़की की याचिका पर HRD मिनिस्ट्री और CBSE को नोटिस जारी करते हुए उनसे 6 जनवरी 2017 तक जवाब माँगा है।
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याचिका में लड़की ने २३ जून को सीबीएसई को नए नाम के लिए चैलेंज किया था जिसमे 10वीं और 12वीं के नए सर्टिफिकेट को जारी करने के एप्लीकेशन को ख़ारिज कर दिया था। सीबीएसई के एग्जाम संबंधी बदलाव पर भी चुनावती दी थी। जिसमे नेम या सरनेम बदलने के नियम पर भी विचार किया जा सकता है। लेकिन नाम बदलने की क्रिया कानूनी तौर पर स्वीकृत हो।
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वकील सत्य रंजन स्वेन और आकाश वाजपेयी की ओर से दायर याचिका में लड़की ने कहा कि वह विदेश में आगे पढ़ाई करना चाहती थी और ऐडमिशन के वक्त स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई करते समय उसे 10वीं और 12वीं का सर्टिफिकेट जमा कराना था लेकिन इन सर्टिफिकेट में उसके पुराने नाम थे, इसलिए याचिकाकर्ता ने नाम बदलने और परिवर्तित नाम पर नया सर्टिफिकेट जारी करने के लिए सीबीएसई में आवेदन किया था। लड़की ने अपनी याचिका में यह दलील दी कि जीवन जीने के अधिकार में नाम रखने, नाम बदलने और सबसे महत्वपूर्ण अपनी मर्जी से नाम रखने का अधिकार शामिल है।
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