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इंटरनेट डेस्क। जब भय समाप्त हो जाता है , तो मृत्यु भी उत्सव बन जाता है, ऐसा अनुभव निगमबोध घाट पर जलती हुई चिता के सामने आयोजित की गई थी एक अनोखी सभा 'अशोक सभा' में लोगों को हुआ। यह चिता थी भारती की, जो MAAsterG की समर्पित शिष्या थीं। वह गत 11 दिन तक अस्पतालों में जीवन और मृत्यु के मध्य खड़ी रहीं।
70 प्रतिशत जलने के बावजूद उनके भीतर से एक बार भी दर्द या चिल्लाहट की आवाज नहीं आई। 70 प्रतिशत जलने के बावजूद अस्पतलाल में भारती ने डांस कर एक प्रकार से लोगों को मृत्यु की चिंता किए बिना जीवन जीतने की प्रेरणा दी। वह लोगों के लिए एक मिसाल बनी। MAAsterG ने भारती को लेकर कहा कि मुरादाबाद के एक अस्पताल से लेकर दिल्ली के एम्स तक की उसकी ये यात्रा, केवल शारीरिक नहीं थी , यह एक साधना थी। वेंटिलेटर पर भी उनके शरीर की गति जैसे नृत्य करती आत्मा की गवाही दे रही थी कि वह मृत्यु से नहीं, परब्रह्म की ओर प्रस्थान कर रही हैं।
गत 18 सालो से आध्यात्मिक जागृति, आत्मबोध और आर्ट ऑफ डाइंग का संदेश जन-जन तक पहुंचा रहे हैं MAAsterG ने कहा कि न जन्म है, न मृत्यु — यह केवल चेतना की यात्रा है। मृत्यु को भी हम प्रसाद की तरह स्वीकार करते हैं, क्योंकि वह अंत नहीं, एक नई अवस्था की शुरुआत है।
MAAsterG ने लिया अपने अनुभवों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प
आपको बता दें कि MAAsterG ने 2007 में आत्मबोध की प्राप्ति के बाद अपने अनुभवों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया था। इसने गत 18 सालों में लाखों लोगों को जीवन, मृत्यु और आत्मज्ञान का समन्वित दृष्टिकोण सिखाया है। उनका मिशन है “Mission 800 करोड़”यानी विश्व के हर अंतिम व्यक्ति तक पहुंचकर उन्हें स्थायी आनंद और आंतरिक शांति का मार्ग दिखाना है।
घर में हुआ था सिलेंडर ब्लास्ट
आपको बता दें कि भारती अपने घर हुए सिलेंडर ब्लास्ट में झुलस गईं थीं। घर पर अचानक गैस सिलेंडर ब्लास्ट हुआ, जिसमें वह 70 फीसदी तक झुल गईं। इसके बाद अस्तपाल में वह जीवन की जंग हार गई। उनकी अंतिम यात्रा में गाजे-बाजे के साथ सेलिब्रेट किया गया। ये उनकी इच्छा थी।
PC: SJ
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