Guillain: खतरनाक बीमारी गुलियन बैरी सिंड्रोम का रोगी जयपुर में पाया गया

Samachar Jagat | Friday, 02 Jun 2023 01:00:47 PM
Guillain: Patient of dangerous disease Guillain Barrie Syndrome found in Jaipur

जयपुर। गुलियान बैरे सिंड्रोम रोग दुनियां में सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक माना जाता है। एक बार किसी के पीछे पड़ जाए तो पेसेंट को दर्दनाक मौत का शिकार होना पड़ता है। 

गुलियांन बेरे सिंड्रोम ऐसा विकार माना जाता है, जिसमें रोगी के शरीर में सबसे पहले सिरहन पैदा होती है। इसके बाद उसकी मांस पेशियां कमजोर होने लगती हैं। यदि इसके उपचार में जरा भी देरी हो जाती है तो पेसेंट की ब्राइडिंग मसल्स भी जवाब देने लगती  है और रोगी को मेकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता हो जाती है। जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल इस बीमारी का पेसेंट उपचारित है, उसमें ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम और हार्ट रेट व बीपी बार बार बदल रहा है।

पेरेलाईसीस के लक्षण भी पाए गए है। रोगी डिप कोमा में जा पहुंचा है। भरतपुर से आया यह रोगी खेती बाड़ी करता है। उनके गांव में वह अकेला रोगी है। इस रोग का वायरस साया कैसे, राजस्थान का स्वास्थ विभाग इस बात की जानकारी लेने में जुटा हुवा है।इस रोग के फैलने के कारण में व्यक्ति इम्यून सिस्टम  बाहरी चीजों पर आक्रमण करता है। लेकिन जब यह सिस्टम गलती से हमारे शरीर की कार्यप्रणालियों पर आक्रमण करना शुरू कर देता है, ओर इस पर  पेरीफेरल  स्थिति में इसे autoimun डिसिस माना जाता है।

इसमें पेरीफेरल नर्वस सिस्टम की मैलीन बहुत ही जल्द कमजोर हो जाती है।ऐसा होने पर इस रोगी की नर्व नेटवर्क दर चुकाएं: जाने में शिथिलता आने लगती है यह स्थिती में। पेसेंट के  दिमाग के कमांड पर प्रतिक्रिया दिखने की मांसपेशियों की क्षमता कम हो जाती  है। ये वो कमांड है जिसे नेट वर्क को पकड़ना और उसे दूसरी जगह  पर पहुंचना जरूरी होता है। इतना ही नहीं इस रोगी का शरीर बहुत कम संवेदी को ग्रहण कर पाता है।

रोगी टेक्सचर  याने किसी भी चीज की बनावट,गर्मी,और दूसरी अनुभूतियां याने सेनशेसन को महसूस करने की क्षमता को खोने लगता है।रोगी के परिजनों ने बताया कि उनके पेसेंट को शुरू में हाथ व पावों में सुना पन,सिरहन,अंगुलियों में चुभन महसूस होने लगी थी। उसके शरीर के आधे भाग में तेज दर्द होने लगा था।दर्द निवारक दवाएं भी काम नहीं कर थी। समय के मुताबिक रोगी में ये लक्षण बदतर होने लगे थे।

इस पर उसे भरतपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में दिखाया था। मगर वहां बिल तीन दिनों में ही तीन लाख से ज्यादा बना दिया। बाद में इस रोग के उपचार में असमर्थता जाहिर करके जयपुर रेफर  कर दिया।रोगी को जब सवाई मान सिंह हॉस्पिटल दिखाया गया तब उसे चेहरा घुमाना चबाना और निगलने में दिक्कत होने लगी थी। इसके साथ रीढ़ की हड्डी  में दर्द और पेशाब के ब्लैडर से कंट्रोल हट जाने,हार्ट की धड़कन और सांस लेने में परेशानी होने लगी।

अभी हाल इस रोगी को वेंटिलेटर पर बेहद निगरानी में रखा गया है।इस रोगी का उपचार कर रहे चिकित्सकों का कहना है की इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए। Plajmaferesisar  रोगी के शरीर में डाल दिया जाता है। बीमारी का उपचार फिलहाल पॉसिबल नहीं है। केवल लक्षणों के आधार पर रोगी को आराम दिलाने में मदद के प्रयास किए जाते है।



 


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