नयी दिल्ली | सरकार ने बुधवार को बताया कि वर्ष 1999 से अब तब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी वाणिज्यिक शाखा के माध्यम से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) द्बारा 34 देशों के 345 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। लोकसभा में गुमान सिह डामोर के प्रश्न के लिखित उत्तर में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिह ने यह जानकारी दी। सदस्य ने पूछा था कि अंतरिक्ष मिशन के अंतर्गत पिछले तीन वर्षों में कितने उपग्रह प्रक्षेपित किये गए। उन्होंने यह भी पूछा था कि कितने विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किये गए।
सिह ने बताया कि वर्ष 2०19 से अब तक इसरो ने संचार, पृथ्वी के निरीक्षण आदि विविध कार्यों के लिए 13 भारतीय उपग्रह प्रक्षेपित किये जिनमें से एक उपग्रह ई ओ एस-03 का प्रक्षेपण असफल रहा।उन्होंने बताया कि पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ई ओ एस-03) सहित जीएसएलवी-एफ10 को 12 अगस्त 2021 को प्रक्षेपित किया गया था। जीएसएलवी-एफ10 प्रक्षेपक यान की विफलता के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि क्रायोजेनिक के ऊपरी चरण में आई खराबी विफलता का कारण बनी जिससे उड़ान के 307 सैकंड बाद मिशन विफल हो गया।
सिह ने बताया कि वर्ष 1999 से अब तब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने वाणिज्यिक अंग के माध्यम से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) द्बारा 34 देशों के 345 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है।उन्होंने बताया कि इन विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण के माध्यम से अर्जित विदेशी मुद्रा 5.6 करोड़ डॉलर और 22 करोड़ यूरो है।मंत्री ने बताया कि न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड, अंतरिक्ष विभाग (डीएसओ) के अंतर्गत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यम इकाई है जो अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को वाणिज्यिक आधार पर अंतरिक्ष संबंधी सेवाएं प्रदान करती रहेगी।