जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने 500 व 1000 रूपये के नोटों को बंद किये जाने के बाद आमजनता को हो रही परेशानी को न्यायालय द्वारा संज्ञान में लिए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा सरकार का उक्त निर्णय जनता की दुविधा को नजरअंदाज कर जल्दबाजी में लिया गया है।
पायलट ने आज एक बयान में कहा कि उच्चत्तम न्यायालय में सरकार द्वारा नोटों को बंद करने के निर्णय के औचित्य व उसे लागू करने से उपजी अव्यवस्थाओं के कारण लोगों को हो रही परेशानी के संदर्भ में लगी याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है कि सरकार ने उक्त समस्याओं के निदान के लिए क्या कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने मानवीय पहलू को संज्ञान में लेकर सरकार से बिना तैयारी के जनता पर थोपे गये निर्णय से उपजी परेशानी के लिए जानकारी चाही है।
पायलट ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा अचानक लिये गये इस निर्णय ने पूरे देशभर में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, लोग सारे काम छोडकर बैंकों व एटीएम के बाहर लम्बी-लम्बी कतारों में घण्टों तक खड़े रहते हैं। जनता के पास आम उपभोग की चीजों को खरीदने तक का पैसा नहीं है, बच्चों की स्कूल फीस की समस्या के साथ ही बीमारों की चिकित्सा की भी व्यवस्था नहीं हो पा रही है। सरकार ने कालेधन पर नियंत्रण के नाम पर पूरे देश की जनता को सडकों पर खड़े होने के लिए मजबूर कर दिया है।
पायलट ने कहा कि भाजपा सरकार ने इस निर्णय से आम जनता पर पडने वाले विपरीत प्रभाव को बिना सोचे-विचारे लागू कर जनता के लिए आर्थिक संकट उत्पन्न कर दिया है। प्रधानमंत्री 50 दिन का समय मांग रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि गत सात दिनों में लोगों खाने-पीने की चीजों के लिए मोहताज होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि बैंकों के बाहर लगने वाली कतारें उन लोगों की है जिनके पास बैंक खाते हैं जबकि भारत की आधी से भी ज्यादा आबादी बैंकों से लेन-देन नहीं करती है तथा हमारी 80 प्रतिशत से भी ज्यादा अर्थव्यवस्था असंगठित होने के कारण नकद में ही लेन-देन होता है, इस वास्तविकता को दरकिनार कर सरकार ने सबसे ज्यादा किसानों, गरीबों, ग्रामीणों, महिलाओं व मध्यम वर्गीय लोगों के लिए समस्या खड़ी कर दी है।
भाषा