पुराने जमाने में बावड़ियों का उपयोग जल संरक्षण के लिए होता था और आज के युग में बावड़ियाँ एक पर्यटन स्थल बन चुकी हैं लेकिन बूंदी में आज एक बहुत ही अद्भूत नज़ारा देखने को मिला जब क़रीब 100 किन्नरों ने रानी जी की बावड़ी में मंत्र योग का अभ्यास किया।
देश भर से आए 100 किन्नर योग प्रशिक्षण कोर्स के प्रथम चरण में योग की अलग अलग विधाओं को सीखने के साथ साथ योग द्वारा प्रकृति से जुड़ने की कला भी सीख रहे हैं। किन्नरों के योग गुरु नवीन मेघवाल का कहना है कि अगर आपका योग अभ्यास आपको प्रकृति और परमात्मा से नहीं जोड़ पाता है तो आपका अभ्यास अधूरा है।
अंतरष्ट्रिय योग गुरु नवीन मेघवाल ने ध्यान के लिए बावड़ी का चयन उसकी ज्यामितिक संरचना को बताया। जब हमारा शरीर एक विशेष ज्यामितिक संरचना के सम्पर्क में आता है तो धीरे धीरे शरीर की ऊर्जा का उर्ध्वागमन होने लगता है। एक विशेष संरचना में मंत्र उच्चारण करने से उसका लाभ कई गुणा बढ़ जाता है।
2 घंटे तक चले इस मंत्र ध्यान से पुरी बावड़ी और आसपास का क्षेत्र मंत्रों से गुंजायमान हो गया। किन्नर समाज के गुरु कांता बुआ और काजल दीदी ने अपने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जीवन में पहली बार इस तरह का ध्यान किया है और २ घंटों तक निर्विचार एवं शून्य अवस्था में रह सके। इस तरह के ध्यान से किन्नर अपनी ऊर्जा को सही गति तथा मार्ग दे पाएँगे जो इस समाज के आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत उपयोगी है।
समत्वम ट्रस्ट के ट्रस्टी पुनीत शर्मा ने जानकारी दी कि किन्नरों को अध्यात्म के उच्च स्तर तक ले जाने के लिए अन्य पर्यटक स्थलों पर भी योग एवं ध्यान का अभ्यास करवाया जाएगा।