Travel Tips: रंग,गुलाल नहीं यहां खेली जाती हैं राख की होली, आ सकते हैं आप भी देखने

Samachar Jagat | Thursday, 21 Mar 2024 12:42:26 PM
Travel Tips: Holi of ashes is played here, not colours, gulal, you can also come to watch.

इंटरनेट डेस्क। होली खुशियों, रंगों का त्योहार है और इसके आने में बचे हैं बस अब गिनती के दिन। ऐसे में आप भी अगर घूमने जाने की सोच रहे हैं और वो भी इस त्योहार पर तो फिर लोग मथुरा, वृंदावन, पुष्कर जैसी जगहों पर जाते हैं जहां लोग रंग-गुलाल और फूलों से होली खेलते है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे ऐसी जगह जहां लोग चिता की राख से भी होली खेलते हैं और ये यहां की परंपरा है और वो जगह वाराणसी।

क्यों शुरू हुई ये परंपरा?
बताया जाता हैं की रंगभरी एकादशी के दिन जब भोले शंकर माता पार्वती का गौना कराकर उन्हें काशी ले आए थे। तब उन्होंने सबके साथ मिलकर गुलाल से होली खेली थी, लेकिन वह भूत, प्रेत, पिशाच के साथ गुलाल वाली होली नहीं खेल पाए थे। इसके बाद उन्होंने इनके साथ मसान की होली खेली थी, तभी से चिता भस्म होली मनाई जाती है।

कैसे मनाते हैं यह होली?
मसान होली खासतौर से वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर मनाई जाती है, जो यहां का प्रसिद्ध श्मशान घाट है। लोगों की भीड़ सुबह से ही यहां इकट्ठा होने लगती है। साधु और शिव भक्त शिव की पूजा-अर्चना और हवन के बाद चिता-भस्म से होली खेलते है।

pc- tv9



 


Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.