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इंटरनेट डेस्क। देश में माता के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन्हीं में एक असम के गुवाहटी में स्थित देवी कमाख्या का मंदिर भी है, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है। नवरात्रि शुरू हो चुके हैं। इस दौरान यहां पर बड़ी संख्या में भक्त देवी का आशीर्वाद लेने आते हैं। आज हम आपको इस मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
गुवाहटी में स्थित कामाख्या मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं है, बल्कि गर्भगृह में एक प्राकृतिक योनिकुंड है, जिसे जलधारा से सिंचित किया जाता है। भक्तों द्वारा इसे ही शक्ति स्वरूपा कामाख्या देवी मानकर पूजा की जाती है। यहां पर तंत्र विद्याओं की भी साधना की जाती है।
इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती के शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में विलाप करते हुए घूम रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। बताया जाता है कि जहां-जहां भगवान सती के अंग गिरे, उन्हीं स्थानों पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई। देवी सती का योनिभाग कामाख्या पर्वत पर गिरा था। इसी कारण ये स्थान प्रसिद्ध हुआ है।
श्रद्धालुओं की सभी इच्छाएं होती हैं पूरी
ऐसा बोला जाता है कि कामाख्या मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। पौराणिक मान्यआतों के अनुसार, गुवाहटी के इस स मंदिर का निर्माण कामदेव की ओर से विश्वकर्मा की मदद से करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला की हर कोई प्रशंसा करता है। आपको नवरात्रि में यहां पर जरूर ही जाना चाहिए।
PC: tv9hindi
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