कोलकाता। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश को विकसित देशों की तरह ऐसे संस्थानों की आवश्यकता है जहां पर वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक मन-मस्तिष्क के द्वारा स्वास्थ्य अनुसंधान पर काम किया जाता है।
मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सोनारपुर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड डाइजेस्टिव साइंसेज को देश को समर्पित करने के अवसर पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि हालांकि बड़े शहरों में सुपर-स्पेशलिएटी अस्पताल हैं लेकिन राज्यों की अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधा अभी तक देश के दूरदराज के गांवों में रहने वाले छह लाख लोगों तक भी नहीं पहुंच पाई है।
मुखर्जी ने आशा व्यक्त की कि इस संस्थान से पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के साथ-साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से में रहनेवाले लोगों को फायदा होगा जहां पर यकृत और अमाशय संबंधी बीमारियों के लिए कोई भी बड़ा अस्पताल नहीं है। यह संस्थान देश के इस हिस्से के नागरिकों को वाजिब कीमत पर ईलाज उपलब्ध कराने में सक्षम होगा।
उन्होंने अस्पतालों विशेषकर स्थानीय निवासियों और अन्य हितधारकों जैसे सरकार और कॉरपोरेट क्षेत्र को इस अस्पताल के निर्माण में सहयोग प्रदान करने के लिए बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को अच्छी दवाएं और उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा उनकी सेवा करने की मानसिकता बनाये जाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह व्यावहारिक रुप से सत्य है कि एक मुस्काराता चेहरा आधी बीमारी को खत्म कर सकता है।
स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए मुखर्जी ने कहा, जीवों की पूजा करना ईश्वर की पूजा करने के बराबर है। लोग डॉक्टरों को भगवान के रूप में देखते हैं और उनकी बीमारियों का इलाज करने के लिए उनका धन्यवाद करते हैं। राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि मरीज बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए डॉक्टरों के साथ मिलकर सहयोग करेंगे। -(एजेंसी)