नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। नोटबंदी पर पहले ही दिन से हंगामे के आसार हैं। इससे पहले पीएम मोदी ने अपील करते हुए कहा कि राष्ट्रहित के मुद्दों पर सभी दलों का साथ होना चाहिए। नोटबंदी पर देश में मचे हंगामे के बीच आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। विपक्षी दलों के तेवरों से साफ है कि नोटबंदी पर संसद पहले ही दिन से गरमाने वाली है। पिछले सत्र में जीएसटी के मामले में सरकार को मिली सफलता के बाद यह सत्र अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन अब इसकी सारी दिशाएं नोटों की ओर ही जाती हुई दिख रही हैं।
विपक्ष आम आदमी, खासतौर से किसानों को हो रही दिक्कतों के बहाने सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहेगा, तो सत्तापक्ष नोटबंदी के दूरगामी असर यानी काले धन और आतंकवाद पर चोट के बड़े हथियार के रूप में स्थापित करने की कोशिश करेगा। प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा के बाद कई बार विपक्ष पर हमलावर होकर यह संकेत दे भी दिया है। यहां यह भी ध्यान देना होगा कि जीएसटी बिल ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सकारात्मक सहयोग का एक आधार तैयार किया था। अलबत्ता, इस बड़े कानून से जुड़े कुछ छोटे-छोटे मसले जरूर हैं, जिन पर विपक्ष की टेढ़ी नजर है। कुछ बिंदुओं पर कांग्रेस ने अपनी आपत्ति भी जताई है।
शीत सत्र इसलिए और ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यह पांच राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के चुनावों के ठीक पहले हो रहा है और इसमें उठी हर आवाज सीधे इन राज्यों के मतदाताओं तक जाएगी। यानी असल मायने में यह सत्ता और विपक्ष, दोनों की अग्निपरीक्षा का समय है।
सत्ता पक्ष के लिए कसौटी पर और निरकर बाहर निकलने की चुनौती है, तो विपक्ष के लिए सरकार को बचाव की मुद्रा में ला पाने की चुनौती। सत्र में जीएसटी के सहायक बिलों सहित नौ बिल पास होने हैं, जिनमें सरोगेसी और इसके लिए राष्ट्रीय स्तर व राज्यों के बोर्ड बनाकर इन्हें अधिकारों से लैस करने का मुद्दा शामिल है। मातृत्व लाभ और तलाक (संशोधन) के साथ आईआईएम के अधिकारों से जुड़े बिल भी इनमें शामिल हैं।