बेंगलुरु। इंसान की सबसे बड़ी शत्रु होती हैं गरीबी। अगर भगवान इंसान को पेट दें तो उस खाने के लिए रोटी भी दें। लेकिन यहां पर बेहद कम लोग होंगे जो दो टाइम की रोटी नहीं खा पाते होंगे। लेकिन सबसे बड़ी मजबूरी ये हो रही हैं आजकल ईलाज के लिए हजारों रुपए की जरूरत पड़ती हैं,लेकिन लाचार परिवार गरीबी के चलते अपनों का इलाज नहीं करवा पाता हैं, वरन या तो मौत हो जाती हैं या फिर तड़प कर दम तोड़ देता है।
ताजा मामला कर्नाटक के टुमकुर का
ताजा मामला कर्नाटक के टुमकुर का है, जहां पर अस्पताल प्रशासन की एक घोर लापरवाही सामने आई है। यहां एक लाचार परिवार को अपनी मृत बेटी की लाश को इस तरह ढोहना पड़ा कि उनकी तस्वीर वायरल हो रही है। यहां एक बच्ची के शव को ले जाने के लिए पिता को मोपेड का इस्तेमाल करना पड़ा, क्योंकि अस्पताल की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई। जानकारी के अनुसार टी. रत्नम्मा बंगलुरु से 150 किमी. दूर वीरापुरा के पास मधुगिरी गांव के निवासी हैं।
बीते शनिवार को उनकी बेटी को बुखार और सर्दी की शिकायत हुई, जिसके बाद रत्नम्मा अपनी जेब में मात्र 150 रुपयों के साथ ही अस्पताल की ओर चल दिए। अस्पताल में उनकी बेटी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पिता का आरोप है कि उसे कोई डाक्टर देखने के लिए नहीं आया, जिसके बाद जब शव को ले जाने की बारी आई तो उन्हें मोपेड पर ही शव को ले जाना पड़ा।
यह काफी दर्दनाक दृश्य था। ऐसे में खास बात यह है कि राज्य के गृहमंत्री और कानून मंत्री दोनों ही टुमकुर जिले से ही आते हैं। अब सवाल उठ रहा है कि सरकार के 2 मंत्री जब यहां से हैं तो जिले के अस्पतालों में चिकित्सकीय सुविधा क्यों नहीं मिल पाई। लोग इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।