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नई दिल्ली, 6 मार्च 2025: सरकार ने आयकर कानून में महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत टैक्स अधिकारी करदाताओं के ईमेल, सोशल मीडिया खातों, बैंक खातों, ट्रेडिंग प्लेटफार्मों और अन्य ऑनलाइन निवेशों की जांच कर सकेंगे। यह नया नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा।
नए नियमों के तहत टैक्स अधिकारियों को बढ़ी हुई शक्तियाँ:
नई आयकर विधेयक में टैक्स अधिकारियों को करदाताओं के डिजिटल खातों की जांच करने की अधिकार दिया गया है। इसका मतलब है कि टैक्स अधिकारी करदाताओं के कंप्यूटर, ईमेल, ऑनलाइन वित्तीय खातों की जांच कर सकेंगे, यदि उन्हें टैक्स चोरी का संदेह हो। इस प्रावधान को विधेयक के धारा 247 में शामिल किया गया है।
क्या-क्या शामिल होगा:
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स: जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर करदाता के खाते।
- ईमेल अकाउंट्स: करदाता के सभी ईमेल खाते।
- ऑनलाइन बैंकिंग और ट्रेडिंग प्लेटफार्म: इसमें बैंक खातों, क्लाउड स्टोरेज और ऑनलाइन निवेश भी शामिल होंगे।
बढ़ी हुई डिजिटल स्क्रूटनी:
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से अब करदाताओं के डिजिटल स्थानों की भी जांच की जाएगी। टैक्स अधिकारी बिना पासवर्ड के करदाताओं के डिजिटल खातों तक पहुंच सकते हैं, जिससे टैक्स अनुपालन में वृद्धि होगी और काले धन को रोका जा सकेगा। यदि करदाता नहीं चाहते कि उनकी डिजिटल जानकारी को एक्सेस किया जाए, तो उन्हें टैक्स अधिकारियों द्वारा मांगी गई सभी जानकारी पहले से ही प्रदान करनी होगी।
संसद की स्थायी समिति द्वारा समीक्षा:
सरकार ने इस नए आयकर बिल को लोकसभा में प्रस्तुत किया है, जिसे वित्तीय मामलों की संसद की स्थायी समिति के पास विस्तृत चर्चा के लिए भेजा गया है। समिति की सिफारिशों के बाद इसमें आवश्यक संशोधन किए जाएंगे और इसे लागू किया जाएगा। माना जा रहा है कि यह नया कानून 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा।
यह बदलाव टैक्स चोरी को रोकने और करदाताओं के बीच अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से किए गए हैं।