नई दिल्ली। भारत में जहां बुलेट ट्रेन का सपना सपना ही बनकर रह गया है। वहीं अब देश में हाइपरलूप लानें पर विचार किया जा रहा है। जहां एक तरफ चीन जापान अपनी बुलेट ट्रेन के कारण जानी जाती है वहीं दुसरी तरफ इन विकसित देशों में हाइपरलूप जैसी रफ्तार को किसी तरह का प्लेटफॉर्म नहीं मिला है। यानि की चीन जापन जैसे देशों से पहले इसे भारत में लाया जा रहा है। इस योजना के लिए परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी के सामने हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन तकनीक के को-फाउंडर बिबॉप ग्रेस्टा ने ऑफर लेटर भी पेश कर दिया है।
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इसके संबध में बात करें तो आप इसका सीधा सा संबध एक ट्रेन से लगा रहे होगें। लेकिन यह सामान्य या बुलेट ट्रेन की तरह बिल्कुल नहीं है। यह एक ट्यूब के अंदर हाइपरलूप को उच्च दबाव और ताप सहने की क्षमता वाले इंकोनेल से बने बेहद पतले स्की पर स्थिर किया जाता है। इस स्की में छेदों के जरिए दबाव डालकर हवा भरी जाती है। जिससे यह एक एयर कुशन की तरह काम करने लगता है। स्की में लगे चुंबक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक झटके से ‘हाइपरलूप’ के पॉड को गति दी जाती है। आपको बता दें कि एक हाइपरलूप पॉड में 6 से 8 लोग सफर कर सकते हैं।
इसकी रफ्तार की बात करें तो इसी कारण यह बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा की रफ्तार पकड़नें में सक्षम है। यह पॉड 1223 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। फिलहाल मुंबई से पुणे के बीच इसे चलाए जाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। एक अंदाज के मुताबिक अगर मुंबई-पुणे के बीच हाइपरलूट ट्रेन दौड़ती है तो ये सफर महज 25 मिनट का रह जाएगा।
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ग्रेस्टा के अनुसार हाइपरलूप’ ट्रेन को तैयार करनें में बुलेट ट्रेन से भी कम लागत लगती है। 1 किलोमीटर बुलेट ट्रेन का नेटवर्क बनानें के लिए करीब 674 करोड़ रुपए की लागत आती है लेकिन वहीं 1 किलोमीटर हाइपरलूप ट्रेन का नेटवर्क तैयार करने में तकरीबन 269 करोड़ की लागत आएगी।
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