नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद सरकार नए नोटों को छपाई केंद्रों से बैंकों तक कम से कम समय में पहुंचाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। इसके लिए हेलिकॉप्टर्स और भारतीय वायु सेना के जहाजों की भी मदद ली जा रही है। कैश जल्द से जल्द से बैंकों तक पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही है। पहले जहां कैश को छपाई केंद्र से बैंकों तक पहुंचने में 21 दिन लगते थे, अब महज 6 दिन लगते हैं।
सरकार को उम्मीद है कि अगले हफ्ते में हालात थोड़े बेहतर होंगे। शहर में तो कैश सप्लाई की स्थिति में कुछ बेहतरी आई है, अब सरकार ग्रामीण क्षेत्रों पर जोर दे रही है।
वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने बताया कि 15 जनवरी तक स्थिति सामान्य हो जाएगी। सूत्रों ने बताया कि विमुद्रीकरण से होने वाले लाभ का इस्तेमाल बैंकों को पूंजी मुहैया कराने, आधारिक संरचना के निर्माण और सशस्त्र बलों के लिए अडवांस्ड हथियार खरीदने पर किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया, 'आर.बी.आई. सरकार को दिए जाने वाले लाभांश की राशि बढ़ा सकता है या विशेष लाभांश दे सकता है। सरकार को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है क्योंकि नोटों का एक बड़ा हिस्सा वापस नहीं आएगा। इससे आर.बी.आई. की देनदारी घटेगी और ज्यादा लाभांश चुकाने की योग्यता बढ़ेगी। सूत्रों ने बताया, '1978 में भी जब सरकार ने विमुद्रीकरण का सहारा लिया था तो 20 प्रतिशत नोट्स वापस नहीं आए थे।'
सूत्रों ने बताया कि इससे एस.एम.ई. सेक्टर को बड़ा फायदा होगा क्योंकि बैंक अब ज्यादा कर्ज देने की स्थिति में होंगे। उन लोगों ने बताया कि पहले छोटे और मंझोले उद्यमियों को इन्फॉर्मल एजेंट्स से 18-20 प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ता था। अब बैंक उनको बहुत ही कम दरों पर कर्ज देने की स्थिति में होंगे। उन लोगों ने बताया कि बड़े मूल्य के पुराने नोटों को बंद करने के कदम से साफ और पारदर्शी इकॉनमी की ओर बढ़ सकेंगे।
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