इंदौर। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कम्पनियों की अंडर रिकवरी पेट्रोलियम ईधनों के बाजार मूल्यों और इनकी सरकार नियंत्रित बिक्री कीमतों के बीच का अंतर में वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान करीब 61.87 प्रतिशत की बड़ी कमी दर्ज की गयी है।
मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंशेखर गौड़ को सूचना के अधिकार आरटीआई के तहत यह जानकारी मिली है।
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गौड़ ने आज बताया कि उनकी आरटीआई अर्जी पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से बताया गया कि 31 मार्च को खत्म वित्तीय वर्ष 2015-16 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली पीडीएस के तहत प्रदान किये जाने वाले केरोसीन और घरेलू रसोई गैस पर तेल मार्केटिंग कम्पनियों की कुल अंडर रिकवरी 27,570 करोड़ रुपए की रही। इसके एवज में सरकार ने इन कम्पनियों को 26,301 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद की।
आरटीआई अर्जी के जवाब में यह भी बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2014..15 में डीजल, पीडीएस के केरोसीन और घरेलू रसोई गैस पर तेल मार्केटिंग कम्पनियों की कुल अंडर रिकवरी 72,314 करोड़ रुपए के स्तर पर रही थी। इसके बदले सरकार ने इन कम्पनियों को 27,308 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद की।
जारी भाषा हर्षसरकार ने डीजल की कीमतों को अपने नियंत्रण से 19 अक्तूबर 2014 को मुक्त कर दिया था, जबकि पेट्रोल के मूल्यों पर से 26 जून 2010 को सरकारी नियंत्रण हटा लिया गया था।
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जानकारों के मुताबिक तेल मार्केटिंग कम्पनियों की अंडर रिकवरी घटने का सबसे बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों मेें कमी आना है। घरेलू रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण डीबीटी योजना और लाखों लोगों के स्वेच्छा से यह सब्सिडी छोडऩे से भी इन कम्पनियों पर अंडर रिकवरी का बोझ घटा है।
आरटीआई अर्जी पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के जवाब के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2013..14, 2012..13 और 2011..12 में तेल मार्केटिंग कम्पनियों की अंडर रिकवरी क्रमश 1,39,869 करोड़ रुपए, 1,61,029 करोड़ रपये और 1,38,541 करोड़ रपये रही थी। इसके बदले सरकार ने इन कम्पनियों को क्रमश 70,772 करोड़ रुपए, 1,00,000 करोड़ रुपए और 83,500 करोड़ रपये की वित्तीय सहायता दी थी।
एजेंसी