चेन्नई। तमिलनाडू ने पोंगल के मौके पर जलीकट्टू का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन तमिलनाडू का ट्रेडिओनल गेम हैं। इस खेल में तमाम लोग घायल हो जाते हैं, कई बार तो लोगों की मौत भी हुई है। खेल में जानवर को भी चोट लगती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस खेल पर सन 2014 में रोक लगा दी थी।
तमिलनाडू में पोंगल के उत्सव के दौरान जलीकट्टू खेलने की प्राचीन परंपरा है। इसमें सांड़ को नियंत्रित करने वाले युवाओं को इनाम दिए जाते हैं। पशु संरक्षक संस्थाओं की लंबी मांग के बाद मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू के आयोजन पर रोक लगा दी थी। इस बार पोंगल 14 जनवरी को पड़ रहा है।
इस मोहत्सव पर रोक हटाने के लिए मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कानून अड़चनों को दूर करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की है जिससे जलीकट्टू को एक बार फिर से खेला जा सके।
इस प्राचीन परंपरा को बरकरार रखने के लिए साउथ फ़िल्मस्टार्स समर्थन कर रहे हैं। इस दौहरान सुपरस्टार रजनीकांत के दामाद एक्टर धनुष ने इस मुद्दे को लेकर अपना समर्थन जाहिर किया है। उन्होंने ट्विट किया है कि, 'जलीकट्टू तमिल के लोगों का अहम हिस्सा है।' जलीकट्टू के जरिए एक्टर्स अपनी ताकत और साहत को दर्शाते हैं।
अभिनेता कमल हासन ने तमिलनाडु के परंपरागत खेल जल्लीकट्टू के बारे में बताया की जो भी यह सोचते हैं कि यह खेल जानवरों के प्रति क्रूरता है उन्हें बिरयानी खाना छोड़ देना चाहिए।
हिंदी न्यूज चैनल के कॉन्क्लेव के दौरान हासन ने कहा, "यदि आप जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध चाहते हैं तो फिर बिरयानी पर भी प्रतिबंध लगाओ। मैं जल्लीकट्टू का दीवाना हूं। " साथ ही कहा कि वे कई बार इस खेल का हिस्सा बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह खेल तमिलनाडु के परंपरागत संस्कृति का हिस्सा है। कमल हासन पहले भी जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने की पैरवी कर चुके हैं।
कमल हासन ने कहा कि स्पेन के खेल बुल फाइटिंग और जल्लीकट्टू में कोई समानता नहीं है. उन्होंने कहा, "यह सांड को रोकने के बारे में है ना कि उसके सींग तोड़कर या किसी अन्य तरह से उसे शारीरिक नुकसान से जुड़ा है. तमिलनाडु में सांडों को देवता की तरह माना जाता है."