नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के अधिकारों से संबंधित मामले में उच्चतम न्यायालय में सुनवाई पांच दिसम्बर तक के लिए स्थगित हो गई। शीर्ष अदालत उसी दिन शुंगलू समिति की रिपेार्ट के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा करेगी। आम आदमी पार्टी की सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि शुंगलू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट उपराज्यपाल नजीब जंग को सौंप दी है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उस रिपोर्ट के आधार पर तब तक फैसला न लिया जाए जब तक अधिकारों की लड़ाई से संबंधित मामले पर शीर्ष अदालत का कोई निर्णय न आ जाए।
केजरीवाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम ने न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ के समक्ष दलील दी कि शुंगलू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और उसके आधार पर कदम उठाने की आशंकाएं बलबती होती जा रही हैं। उन्होंने इस तरह के किसी भी कदम पर रोक लगाने का न्यायालय से अनुरोध भी किया।
इसका सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने यह कहते हुए विरोध किया कि समिति ने अपनी रिपोर्ट कल ही सौंपी है और कोई भी यह नहीं जानता कि इस रिपोर्ट में क्या लिखा है? फिर इस तरह की आशंकाएं पालना अनुचित है।
इसके बाद पीठ ने कहा कि वह शुंगलू समिति की रिपोर्ट के विभिन्न पहलुओं को लेकर आगामी पांच दिसम्बर को विचार करेगी। उपराज्यपाल ने गत 30 अगस्त को पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) वी के शुंगलू की अध्यक्षता में समिति गठित की थी, जिसे आप सरकार द्वारा लिये गये फैसलों की 400 से अधिक फाइलों की जांच का जिम्मा दिया गया था।
इस समिति के अन्य सदस्य हैं- पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी तथा पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रदीप कुमार। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, जिसमें उसने यह कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली का शासक और प्रमुख होते हैं।