सूर्य षष्ठी पर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है, माना जाता है कि अगर इस दिन पूरे विधि-विधान से सूर्य देव की आराधना की जाए तो इससे सूर्य देव प्रसन्न होकर व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी करते है। महाभारत काल में भी सूर्यदेव की इस विशेष पूजा को किया जाता था, महाभारत के प्रमुख पात्र कर्ण जिसे दुर्योधन ने अपना मित्र बनाकर अंग देश का राजा बना दिया।
चार दिनों तक इस विधि से करें छठ पूजा
अंग राज कर्ण पांडवों की माता कुंती और सूर्य देव की संतान हैं। कर्ण अपना आराध्य देव सूर्य देव को मानते थे। वे नियम पूर्वक कमर तक पानी में जाकर सूर्य देव की आराधना करते थे और उस समय जरुरतमंदों को दान भी देते थे। मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल षष्ठी और सप्तमी के दिन कर्ण सूर्य देव की विशेष पूजा किया करते थे।
छठ व्रत कथा
अपने राजा की सूर्य भक्ति से प्रभावित होकर अंग देश के निवासी सूर्य देव की पूजा करने लगे। धीरे-धीरे सूर्य पूजा का विस्तार पूरे बिहार और पूर्वांचल क्षेत्र तक हो गया। आज अंग देश स्थान बिहार में स्थित है और इसे भागलपुर के नाम से जाना जाता है। आज भी लोग इस परंपरा को पूरे विधि-विधान से निभा रहे हैं।
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