जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि नोटबंदी के फैसले ने सबसे ज्यादा ग्रामीण आबादी पर विपरीत प्रभाव डाला है। देश व प्रदेश में नोटबंदी के कारण जो हालात बने है उसमें सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को पहुँचा है।
पायलट ने कहा कि बिना बैंकों की आधारभूत संरचना का निर्माण किए नोटबंदी की घोषणा ने गांवों व ोटे कस्बों में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। लोग ना तो इस बदलाव को समझ पा रहे है और ना ही उन्हें सरकार की तरफ से किसी प्रकार की मदद मिल पा रही है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार जनादेश की भावनाओं को नजरअंदाज कर जैसे काम कर रही है, वह संविधान व लोकतंत्र में निहित उद्देश्यों के खिलाफ है।
पायलट ने आज नागौर के डेगाना में आयोजित किसान सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने हाल ही में अपनी महत्त्वाकांक्षी योजना जल स्वावलम्बन को लेकर जनप्रतिनिधियों को बुलाया था जिसमें अधिकांश मंत्री, विधायक व सांसदों की अनुपस्थिति से साबित हो गया है कि उक्त योजना कितनी खोखली है।
उन्होंने कहा कि इस योजना का वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। जल स्वावलम्बन के नाम पर लोगों को भ्रमित कर चंदा वसूली की जा रही है। योजना के प्रति भाजपा के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता उसकी लचरता पर मुहर लगा रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों ने भाजपा सरकार बनने के बाद पहले प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया और अब सरकार द्वारा घोषित आपदा के कारण ग्रामीण आबादी पूरी तरह से त्रस्त है। सरकार को कृषि ऋणों को माफ कर देना चाहिए और बीज व खाद की उपलब्धता को सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि सरकारी अनदेखी के कारण रबी की बुवाई पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
पायलट ने कहा कि सरकारी अनदेखी के परिणामस्वरूप किसान अपनी उपज पर लागत तक वसूल नहीं कर पा रहा है। प्रदेश के किसानों को गत आपदाओं का मुआवजा तक नहीं मिला और यहाँ तक कि उसे कृषि ऋण से भी वंचित रखा जा रहा है।