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जयपुर के प्रतिष्ठित गिरधारी महाराज कथक केंद्र, शिव शक्ति नगर में 21 फरवरी को एक भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जहां पेरिस के त्रिवट इंटरनेशनल स्कूल से आए 18 फ्रांसीसी छात्रों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। यह केंद्र जयपुर के सर्वश्रेष्ठ कथक संस्थानों में से एक है और इसकी अंतरराष्ट्रीय शाखा पेरिस में भी स्थित है।
भारत की कला और संस्कृति का गहन अध्ययन
यह सांस्कृतिक यात्रा 15 फरवरी से 2 मार्च तक चल रही है, जिसमें पहला सप्ताह जयपुर में गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत कथक, शास्त्रीय संगीत, योग और पारंपरिक भारतीय जीवनशैली के गहन अध्ययन के लिए समर्पित था। इस दौरान, छात्रों ने जयपुर में प्रसिद्ध कथक गुरु नमिता जैन से प्रशिक्षण प्राप्त किया, जबकि पेरिस में वे कमल कांत और मेघा जगावत से कथक की शिक्षा लेते हैं।
संगीत और नृत्य की शानदार संध्या
इस भव्य संध्या को और भी खास बनाने के लिए प्रसिद्ध सितार वादक इरफ़ान मोहम्मद और तबला वादक शोएब मोहम्मद को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया, जिन्होंने अपनी अद्भुत प्रस्तुति से शाम को संगीतमय बना दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत गिरधारी महाराज कथक केंद्र के वरिष्ठ छात्रों द्वारा प्रस्तुत शिव वंदना से हुई, जिसके बाद तीनताल में कथक का एक उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ। इसके अलावा, प्रसिद्ध गायक रमेश मेवाल ने अपनी सुमधुर गायकी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस यात्रा के दौरान, त्रिवट इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों ने न केवल कथक और योग का अभ्यास किया, बल्कि भारतीय लोक संगीत से भी जुड़ाव महसूस किया। उन्होंने प्रसिद्ध राजस्थानी लोकगीत “टूटे बाजूबंद री लूम” को रमेश मेवाल के मार्गदर्शन में सीखा और सांस्कृतिक संध्या में इसका अद्भुत प्रस्तुतिकरण किया, जिसने दर्शकों का दिल जीत लिया और पूरे कार्यक्रम की जान बन गया।
राजस्थान की सांस्कृतिक यात्रा
अब यह दल राजस्थान के सात प्रमुख शहरों की सांस्कृतिक यात्रा के लिए रवाना हो रहा है, जहां वे इस ऐतिहासिक भूमि की भव्यता और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करेंगे।
यह संपूर्ण यात्रा भारतीय कला और संस्कृति को विश्व पटल पर लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जहां कथक केवल नृत्य नहीं, बल्कि आत्मा से जुड़ने का एक माध्यम बन रहा है। त्रिवट इंटरनेशनल स्कूल के छात्र इस अविस्मरणीय अनुभव से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने दोबारा लौटने की इच्छा व्यक्त की, ताकि वे फिर से भारतीय नृत्य और संगीत की इस समृद्ध परंपरा को महसूस कर सकें।