नई दिल्ली। ऑटोमोबाइल क्षेत्र की बात करें तो सैकेंड हैंड वाहनों के बाजार में दिन-पे-दिन इजाफा हो रहा है। वहीं इसका फायदा दिल्ली नें बेहद उठाया है। दिल्ली में डीजल वाहनों के बढ़ते स्तर से प्रदूषण का जो स्तर बढ़ा है उसे देखते हुए एनजीटी नें दस साल पुरानें डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया। ऑड इवन जैसे कानून के चलते भी दिल्ली की जनता को खासी दिक्कतो का सामना करना पड़ा है।
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इसके चलते कई लोगो को अपनी सैकेंड हैंड कारों को निकालना ही बेहतर समझा है। इसके चलते कई पड़ोसी शहरों में सैकेंड हैंड वाहनों के बाजार में भी वृध्दि हुई है। यहां बात हम डीजल वाहनों की नहीं कर रहे है बल्कि उन सभी डीजल, पेट्रोल वेरिएंट वाहनों की कर रहे है।
सैकेंड हैंड कारों के बाजार से ऑटोमोबाइल कंपनियां भी अछूती नहीं है। इस क्षेत्र में बढ़ते कारोबार को देखते हुए कई कंपनियां इस ओर अपनें कदम रख गई है। जिनमें पहला नाम है मारुति। कंपनी नें इस बाजार को भांपतें हुए ट्रू वैल्यू जैसी योजना को अपनाकर अच्छा खासा लाभ कमाया है।
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लेकिन आपको बता दें अभी तक सैकेंड हैंड वाहनों का बाजार टैक्स के दायरें से बाहर था, लेकिन जल्द ही सरकार इसे भी टैक्स के दायरे में रखनें का मानस बना रही है। जी हां अब वाहनों का मालिकाना हक बदलनें पर टैक्स वसूला जाएगा इस टैक्स को1 प्रतिशत की दर से वसूला जाएगा।
गौरतलब है कि अभी केवल पुराने वाहनों के पंजीयन नवीनीकरण के समय और नए वाहनों की खरीद के समय ही इस टैक्स को वसूला जाता है। जानकारी के मुताबिक कंपनी इस योजना को मोटरयान अधिनियम में संशोधन के तहत ला सकती है। जो कि शीतकालीन सत्र में पेश किया जाने वाला है।
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