नई दिल्ली। प्रदूषण की गंभीर स्थिति के चलते उत्पन्न स्वास्थ्य खतरे के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने सोमवार को 15 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना शुरू कर दिया जबकि पटाखा छोडऩे पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। 15 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों की संख्या करीब दो लाख है।
नवीनतम निर्देश उप राज्यपाल नजीब जंग की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक के बाद जारी किया गया। यह ऐसे दिन आया है जब स्कूलों में तीन की छुट्टी शुरू हुई, निर्माण कार्य एवं ध्वस्तीकरण कार्यों पर रोक लगा दी गई तथा एक बिजली संयंत्र को बंद कर दिया गया। ये सभी कदम दिवाली से शहर में घनी धुंध छाने के मद्देनजर उठाये गए।
बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रमुख एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी विचार विमर्श में शामिल हुए।केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे की अध्यक्षता में एनसीआर राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में हरियाणा और पंजाब ने आप सरकार के लगातार आरोपों का विरोध किया कि दिल्ली में सप्ताह भर से धुंध पड़ोसी राज्यों में खेतों में ठूंठ जलाने के चलते है।
यद्यपि नासा की तस्वीरों में पूरे क्षेत्र में खेतों में आग दिखायी गई है जिससे प्रदूषणकारी धुआं निकल रहा है।दवे ने दिल्ली पर जिम्मेदारी डालने का प्रयास किया और कहा कि 80 प्रतिशत उत्सर्जन स्रोत शहर के भीतर ही हैं और बाकी के लिए ठूंठ जलाने को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
राज निवास ने एक बयान में कहा कि सभी पंजीकरण प्राधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का पंजीकरण चरणबद्ध तरीके से रदद करना शुरू करें। इससे दिल्ली की सडक़ों पर दो लाख डीजल वाहनों की कमी आएगी।