हर किसी की अपनी किस्मत होती है। सक्सेसफुल तो हर कोई बनता है लेकिन किसी किसी का ज़मीर उनके पास रहता है। मगर किसी का सक्सेस उनके सर चढ़ बोलता है। लेकिन ये प्रिंस तिवारी सफलता का मुकाम भी पाया और साथ ही गरीब बच्चों की मदद भी करता।
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प्रिंस तिवारी भी एक ऐसे ही शख्सियत का नाम है. वे आगामी 14 नवंबर (बाल दिवस) के दिन पूरे भारत में 24,000 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकलने वाले हैं. वे अभी महज 23 साल के हैं और 120 दिन की इस पदयात्रा में स्कूलों के लिए फंड जुटाएंगे.
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नहीं है प्रसिद्धि और रिकॉर्ड की चाह...
ऐसा हम अपने आस-पास हमेशा देखते रहते हैं कि ऐसे किसी भी मामले में कर्ता किसी रिकॉर्डबुक का हिस्सा होना चाहता है. हालांकि, यहां वे ऐसा कुछ भी नहीं चाहते. प्रिंस साल 2014 के ग्रेजुएट हैं और 23 साल की उम्र में चार्टर्ड अकाउंटेंट की नौकरी भी छोड़ चुके हैं. इसके अलावा वे एक गैर सरकारी संगठन भी चला रहे हैं.
वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले 24 बच्चों को कांडिवली के सेमी अंग्रेजी मीडियम में पढ़ा रहे हैं. साल 2015 में उन्होंने 49 और बच्चों को स्कूल में दाखिल करवाया. अब वे और 86 बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वे उनकी स्कूल फीस, स्टेशनरी, किताबें और यूनिफॉर्म समेत एक समय के भोजन का भी खर्चा उठाते हैं.
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